संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने न्यूज़क्लिक और कई पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के बहाने ऐतिहासिक किसान आंदोलन को निशाना बनाने की कड़ी निंदा की है। किसान आंदोलन पर लगाए गये आरोपों को झूठे और दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए एसकेएम ने इसके खिलाफ देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में किसान आंदोलन पर “अवैध विदेशी फंडिंग के जरिए आवश्यक आपूर्ति व सेवाओं को बाधित करने, भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने तथा आंतरिक कानून-व्यवस्था की समस्याएं पैदा करने” के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। एसकेएम का कहना है कि देश के किसानों ने भाजपा सरकार के किसान विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन किया था। किसानों द्वारा आपूर्ति बाधित नहीं की गई। ना ही किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। बल्कि केंद्र सरकार ने किसानों को देश की राजधानी तक पहुंचने से रोकने के लिए हिंसक तरीकों का इस्तेमाल किया। किसानों को विरोध में 13 महीनों तक चिलचिलाती गर्मी, मूसलाधार बारिश और कड़ाके की ठंड में बैठना पड़ा था।
एसकेएम ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और भाजपा-आरएसएस ने ही कानून-व्यवस्था की समस्याएं पैदा कीं। लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचला गया, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई। आज तक प्रधानमंत्री ने दोषी मंत्री को नहीं हटाया और न दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की। सरकार के दमन का मुकाबला करने के लिए 735 किसानों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने न्यूज़क्लिक एफआईआर के माध्यम से किसान आंदोलन पर नए सिरे से हमले के खिलाफ देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है। किसान आंदोलन पर लगाए आरोपों को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए राज्यों की राजधानी, जिला मुख्यालय, तहसील मुख्यालय पर प्रदर्शन किए जाएंगे। एसकेएम की ओर से भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री और दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसान आंदोलन के खिलाफ सभी आरोपों को तुरंत वापस लेने के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा।
एसकेएम ने भाजपा सरकार पर मित्र पूंजीपतियों के साथ मिलकर देश की खाद्य सुरक्षा व अर्थव्यवस्था को खतरे में डालने का आरोप लगाया। साथ ही पीएम केयर फंड में चीन से फंडिंग का मुद्दा भी उठाया। एसकेएम का कहना है कि किसान आंदोलन तमाम मुश्किलों के बावजूद महान बलिदानों के कारण सफल हुआ। आंदोलन पर विदेशी फंडिंग के आरोप लगाकर इस बलिदान को नीचा दिखाना सरकार के अहंकार और जन-विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने तीन विवादित कृषि कानूनों को जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी करार देते हुए किसान आंदोलन को उच्च स्तर के राष्ट्रवाद की सहज अभिव्यक्ति बताया। एसकेएम का कहना है कि किसान आंदोलन को बाहरी स्रोतों से फंडिंग के आरोप एक सोची-समझी चाल है जिसे आंदोलन के दौरान ही दृढ़ता से खारिज कर दिया था। एसकेएम के मुताबिक, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार किसानों के दृढ़, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण आंदोलन के सामने तीन काले कानूनों को वापस लेने के अपमान से अभी तक बौखलाई हुई है। किसान आंदोलन को बदनाम कर किसानों से बदला लेने की लगातार कोशिश करेगी। एसकेएम ने स्वतंत्र मीडिया और पत्रकारों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए उनकी आवाज दबाने के लिए सरकार के दमनकारी प्रयासों की निंदा की है।
