देश के कई राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। केंद्र सरकार के अनुसार, बीते 15 सितंबर से 29 अक्टूबर के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के एनसीआर क्षेत्र में पराली जलाने के मामलों में 54 प्रतिशत कमी आई है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पराली के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कहा कि संबंधित राज्य सरकारें 2 महीने के अंदर रिपोर्ट पेश करें।
कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस’ (क्रीम्स) की प्रयोगशाला, कृषि भौतिकी प्रभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा सैटेलाइट डेटा का उपयोग कर पराली जलाने के मामलों का आकलन किया जाता है। पराली जलाने की घटनाओं में आधे से ज्यादा कमी के
सरकार का ये है दावा
कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में एक लिखित जवाब देते हुए 2021, 2022 और 2023 में 15 सितंबर से 29 अक्टूबर के बीच पराली जलाने के मामलों से संबंधित आंकड़ा पेश किया। उन्होंने बताया कि 15 सितंबर से 29 अक्टूबर की अवधि में पंजाब, हरियाणा, एनसीआर-उत्तर प्रदेश, एनसीआर-राजस्थान और दिल्ली में पराली जलाने के कुल मामले 2021 में 11,461 और 2022 में 13,964 थे। इस साल इस अवधि में पराली जलाने की 6,391 घटनाएं हुईं। खेतों में धान के अवशेष जलाने के मामलों की उपग्रह रिमोट सेंसिंग का उपयोग करके निगरानी की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 महीने में मांगी रिपोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि पराली जलाने की घटनाएं बंद होनी चाहिए। साथ ही एक न्यायिक निगरानी व्यवस्था भी बननी चाहिए। पीठ ने संबंधित राज्य सरकारों को प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए।
पीठ ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समिति की कई बैठकें हुईं और इसने इस मुद्दे से निपटने के लिए पंजाब और हरियाणा सहित राज्यों के लिए कार्य योजना तैयार की है। पीठ ने कहा कि संबंधित राज्यों को कार्य योजनाओं को लागू करना होगा और दो महीने के भीतर अदालत के समक्ष प्रगति रिपोर्ट जमा करनी होगी।