राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पंजाब और हरियाणा को पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए अगले साल एक जनवरी से एक सितंबर के बीच समयबद्ध योजना बनाने का निर्देश दिया है। इस बीच दोनों राज्यों में पराली जलाने की घटाने में कमी आई है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले में पिछले साल की तुलना में 27 फीसदी और 37 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, 2021 की तुलना में 29 फीसदी जबकि 2020 की तुलना में 56 फीसदी कमी देखी गई। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
हरियाणा में कितने घटे मामले
मंत्रालय के मुताबिक, हरियाणा में 2020 में पराली जलाने के कुल 4,202 मामले, 2021 में 6,987 मामले, 2022 में 3,661 मामले तथा इस साल 2,303 मामले दर्ज किए गए। मंत्रालय के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल 37 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है तथा 2021 की तुलना में यह 67 फीसदी तथा 2020 की तुलना में 45 फीसदी कम है।
पंजाब का हाल
इसी तरह पंजाब के चार जिलों में 2022 की तुलना में इस साल 50 फीसदी से अधिक लोगों ने कम पराली जलाई है। पांच जिलों में 27 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक सुधार हुआ।उन्होंने बताया कि हरियाणा के तीन जिलों में 2022 की तुलना में इस साल 50 फीसदी से अधिक लोगों ने कम पराली जलाई है। वहीं पांच जिलों में 37 फीसदी तक सुधार देखा गया।
चरणबद्ध तरीके से बनाए प्लान
इस बीच सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पराली जलाने का मुद्दा मुख्य रूप से 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच सामने आया। और यह गंभीर समस्या हर साल सामने आती है, इसलिए अगले साल यानी 2024 के लिए, एक व्यापक योजना और उपचारात्मक कार्रवाई इसी स्तर पर शुरू करने की आवश्यकता है। इसलिए पंजाब एवं हरियाणा एक जनवरी, 2024 से एक सितंबर, 2024 के बीच चरण-वार प्रस्तावित कार्रवाई की जानकारी देते हुए समयबद्ध कार्य योजना तैयार करें। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में पराली जलाने की 36,632 घटनाएं हुईं जिनमें से 2,285 घटनाएं इस साल 15 सितंबर से 28 नवंबर के बीच हुईं।