देश के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल में संतरा किसान गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। उत्पादन में भारी गिरावट के कारण दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी के किसानों और कारोबारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। अपने स्वाद और सुगंध के लिए मशहूर उत्तरी बंगाल का यह संतरा अब अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। कारोबारियों के अनुसार उत्पादन घटकर मात्र 20 फीसदी रह गया है। हर साल नवंबर से जनवरी तक उत्तरी बंगाल में संतरे का व्यापार करोड़ों रुपये का होता है। इस बार दार्जिलिंग, कुर्सियांग और कलिम्पोंग में संतरे के उत्पादन का बुरी तरह घटा है। हर साल इस सीजन में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के अंतर्गत सिलीगुड़ी में स्थित पूर्वोत्तर के सबसे बड़े थोक बाजार से संतरे का बड़ा कारोबार होता था।
क्यों घट रहा उत्पादन
किसानों के अनुसार मेंटनेंस की कमी और सरकार से सहयोग नहीं मिलने के कारण संतरे का उत्पादन लगातार घटता जा रहा है। उनके अनुसार जैविक खाद की कमी के कारण किसान असहाय हो गए हैं। इसके लिए किसानों ने सरकार से सहयोगा मांगा है। इसके अलावा नागपुर के किन्नू संतरे की वजह से भी स्थानीय किसानों को नुकसान हुआ है। क्योंकि नागपुर के संतरे दार्जिलिंग के संतरे की तुलना में सस्ते हैं। जिसकी वजह से दार्जिलिंग के संतरे की मांग घट गई है। किसानों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी पहाड़ों पर भी संतरे की फसल खराब हो रही है।
ऊंचे टैक्स की मार
इसके अलावा व्यापारी बांग्लादेश के साथ भारी मात्रा में फलों का व्यापार करते थे। हालांकि अधिकतम निर्यात टैक्स के कारण, व्यापारियों ने पिछले कुछ वर्षों से बांग्लादेश के साथ व्यापार रोक दिया है। इसके अलावा, संतरे की विभिन्न किस्में भी दार्जिलिंग संतरे को नुकसान पहुंचाती हैं। इसका असर भी कारोबार पर पड़ा है।