आज के दौर में आर्गेनिक, इको-फ्रेंडली और ग्रीन प्रोडक्ट सबको लुभाते हैं। कंपनियां भी इसके नाम पर नए-नए प्रोडक्ट लांच कर रही है। लेकिन ये दावे कितने सच हैं, शायद ही किसी ने पड़ताल की है। लेकिन ऐसे दावों पर अब सरकार की नजर है। ग्रीन प्रोडक्ट्स के नाम पर भ्रामक दावों यानी ग्रीनवॉशिंग पर अंकुश लगाने को लेकर उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय गंभीरता से विचार कर रहा है।
केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि पर्यावरण से जुड़े दावों को लेकर हम गाइडलाइन तैयार कर रहे हैं। इको-फ्रेंडली और ग्रीन प्रोडक्टस के नाम पर भ्रामक विज्ञापन चिंता का विषय हैं। अगर कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को ग्रीन बता रही है, तो उपभोक्ताओं को इस पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। उन्हें न केवल सावधानी बरतनी चाहिए बल्कि जांचना भी चाहिए कि वास्तव में कंपनी का दावा सही है या नहीं।
पर्यावरण से जुड़े दावों को लेकर विज्ञापन जगत की प्रमुख संस्था एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने ड्राफ्ट गाइडलाइंंस जारी कर पब्लिक से सुझाव आमंत्रित किए हैं। एएससीआई की सीईओ मनीषा कपूर के मुताबिक, कई बार कंपनी अपने उत्पादों, सेवाओं और छवि को लेकर इको-फ्रेंडली, सस्टेनेबल और ग्रीन होने के दावे करती हैं। जबकि इन दावों के पक्ष में स्पष्ट प्रमाण या पुष्ट सूचनाएं नहीं दी जाती हैं। इससे वास्तव में इको-फ्रेंडली कोशिशों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचता है।
क्या है ग्रीनवॉशिंग
अगर कोई कंपनी किसी उत्पाद या सेवा के बारे में पर्यावरण संबंधी भ्रामक दावे कर उपभोक्ताओं के आंख में धूल झोंकती है तो यह ग्रीनवॉशिंग कहलाता है। ग्रीनवॉशिंग के जरिए कंपनियां ग्राहकों के बीच भ्रामक जानकरियां फैलाती हैं। उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने के लिए एक झूठा दावा किया जाता है कि उसके उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल हैं।
लोग अधिक कीमत देने को तैयार
रोहित कुमार सिंह ने कहना है कि लोग ग्रीन और इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स के लिए दो से तीन गुना तक ज्यादा कीमत देने को तैयार हैं। इसका गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रीनवॉशिंग से बचने के लिए उपभोक्ताओं को भी जागरूक होना होगा। सरकार की ओर से ऐसे दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं जो ग्रीनवॉशिंग से ग्राहकों के हितों की रक्षा कर सकें।
जरूरी नहीं कि ग्रीन लोगो वाला प्रोडक्ट ऑर्गेनिक हो
आजकल हर कोई ग्रीन या ऑर्गेनिक प्रोडक्ट बेच रहा है। कोई भी प्रोडक्ट रिसाइकिल होने वाले पैकेट में आता है। इसका मतलब यह नहीं है कि अंदर का सामान ग्रीन है। साथ ही सिर्फ ‘ग्रीन’ लोगो लगने भर से ही कोई प्रोडक्ट ऑर्गेनिक नहीं हो सकता है। इसलिए ग्रीन दावों को लेकर सावधान और जागरुक होने की जरूरत है।
