इस बार का गणतंत्र दिवस कृषि क्षेत्र के लिए बेहद खास रहा है। देश ने उन किसानों को सम्मान दिया है जिन्होंने गुमनामी में रहकर कृषि क्षेत्र में क्रांति ला दी है। ये किसान सुदूर अंडमान निकोबार से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक में सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं। केंद्र सरकार ने इन किसानों को पद्म पुरस्कार के लिए चुना है। पद्म पुरस्कार किसान पाने वालों में नारियल अम्मा, सत्यनारायण बेलेरी, जॉर्डन लेप्चा, सरबेश्वर बसुमतारी, संजय अनंत पाटिल , यानुंग जमोह लेगो के नाम शामिल है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इन किसानों ने ऐसा क्या किया है, जिससे उन्हें पद्म पुरूस्कार के लिए चुना गया है।
नारियल अम्मा को मिला पद्मश्री सम्मान
सबसे पहले बाद पद्म श्री सम्मान के विजेताओं की सूची में दक्षिण अंडमान में रहने वाली के चेलाम्मल की, जिन्हें नारियल अम्मा के नाम से जाना जाता है। नारियल अम्मा 69 साल की हैं। और 10 एकड़ जमीन में खेती करती हैं। वह जैविक कृषि के जरिए अनानास, केले, लौंग और अदरक की खेती करती हैं। उनकी प्रेरणा से 150 से ज्यादा किसानों अब जैविक खेती कर रहे हैं।
जॉर्डन लेप्चा
सिक्किम के 50 वर्षीय किसान जॉर्डन लेप्चा को पद्म श्री मिला है। उन्हें बांस की शिल्पकारी के लिए चुना गया है। जॉर्डन लेप्चा बांस से अनेक प्रकार की टोपियों को बनाने की कला रखते हैं। 25 साल से अधिक समय से, जॉर्डन लेप्चा ने पारंपरिक लेप्चा बुनाई और खण्डहर शिल्प संरक्षण की कोशिश की है। उन्होंने 150 से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण दिया है।
सत्यनारायण बेलेरी
कर्नाटक कासरगोड में रहने वाले किसान सत्यनारायण बेलेरी को भी पद्मश्री के लिए चुना गया है। वह पारंपरिक धान फसल और उनके बीजों के संरक्षण पर काम करते हैं। उनके पास राजकयमा नामक एक ऐसी फसल है, जिसे कम पानी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा पॉलीबैग में एक नवीनतम तकनीक का उपयोग करके अपनी विधि विकसित की है। वह 650 से अधिक पारंपरिक फसलों के संरक्षण का काम कर रहे हैं।
सरबेश्वर बसुमतारी, यानुंग जमोह लेगो, संजय अनंत पाटिल
आसाम के 61 वर्षीय किसान सरबेश्वर बसुमतारी को भी पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। वह मिक्स्ड इंटिग्रेटेड फार्मिंग से नारियल, संतरे जैसे फसलों की खेती करते हैं। वहीं अरुणाचल प्रदेश के किसान यानुंग जमोह लेगो को भी पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। यानुंग जामोह लेगो एक आदिवासी हर्बल औषधीय विशेषज्ञ हैं। जिन्होंने आदि जनजाति की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित किया है।
गोवा के किसान संजय अनंत पाटिल को भी पद्म श्री के लिए चुना गया है। पाटिल एक हरित क्रांतिकारी हैं, जिन्हें लोग ‘वन-मैन आर्मी’कहते हैं। उन्होंने10 एकड़ की बंजर भूमि को हरे-भरे प्राकृतिक खेत में बदल दिया है।