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संघर्ष

जमीन बचाने के लिए भटक रहा वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का परिवार

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजन की व्यथा सुनते कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजन की व्यथा सुनते कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना

महान स्वतंत्रता सेनानी और पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर उत्तराखंड में कई सड़कें, मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी और सरकारी योजनाएं हैं। लेकिन गढ़वाली के परिवार पर जमीन से बेदखल होने का संकट मंडरा रहा है। यूपी सरकार से 90 साल की लीज पर मिली जमीन बचाने के लिए परिवार पिछले 5 साल से भटक रहा है।

1930 में पेशावर में निहत्थे आंदोलनकारियों पर गोली चलाने से इंकार कर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया था। वे लगभग 14 साल जेल में रहे थे। ताउम्र जन सरोकारों को समर्पित रहे। लेकिन आजादी के अमृतकाल में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का परिवार भारी अवसाद और संकट के दौर से गुजर रहा है।  

1975 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के सम्मान में पौड़ी और बिजनौर जिले की सीमा पर हल्दूखाता में 60 बीघा जमीन उन्हें 90 वर्ष की लीज पर भेंट की थी। वह जमीन फिलहाल उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर में आती है। इस जमीन को अतिक्रमण मानते हुए 2018 में यूपी के वन विभाग ने जमीन खाली करवाने का नोटिस वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की दोनों विधवा पुत्रवधुओं के नाम भेजा था। उक्त प्रकरण अभी भी जिला बिजनौर वन विभाग में लंबित है। परिवार के पास इस जमीन पर खेती के अलावा कोई अन्य आय का साधन नहीं है।

उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना गत 3 अक्टूबर को हल्दूखाता में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों से मिले थे। गढ़वाली के छोटे बेटे स्वर्गीय आनंद सिंह गढ़वाली की पत्नी विमला देवी ने उन्हें बताया कि सितंबर 2018 में बिजनौर वन प्रभाग की ओर से एक नोटिस आया था। नोटिस में भूमि को अवैध कब्जा बताया गया है क्योंकि लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ और न ही लीज निष्पादित हुई है। भूमि को खाली करने के लिए कहा गया है। तब से परिजन सभी दस्तावेज लेकर विभाग के चक्कर काट रहे हैं।

सूर्यकांत धस्माना ने इस प्रकरण के समाधान के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है और उनसे मिलने का समय मांगा है। धस्माना ने कहा है कि महान स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के साथ जिस तरह का व्यवहार हो रहा है वो दुर्भाग्यपूर्ण है। अलग राज्य बनने के बाद भी राज्य सरकार ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिवार की सुध नहीं ली।

धस्माना ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सात अक्तूबर को उत्तराखंड आ रहे हैं। सीएम योगी को उत्तराखंड दौरे से पहले गढ़वाली परिवार के नाम उक्त जमीन दर्ज करा देनी चाहिए। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को लीज पर मिली भूमि को बचाने के लिए जो भी खर्च आएगा, उसे वह खुद वहन करने के लिए तैयार हैं। इस मामले को लेकर वह यूपी के मुख्यमंत्री से मिलेंगे।

साल 1979 में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मौत के बाद उनके दोनों बेटों आनंद गढ़वाली और कुशलचंद्र गढ़वाली का भी असामयिक निधन हो गया था। तब से उनका परिवार यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर से सटे कोटद्वार भाबर के हल्दूखाता में लीज पर मिली जमीन पर रहता आ रहा है। इस जमीन पर खेती के अलावा परिवार के पास आय को कोई साधन नहीं है। जमीन बचाने के लिए गढ़वाली परिवार कई साल से देहरादून और लखनऊ के बीच भटक रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, वर्तमान मुख्यमंत्री व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।

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