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जोशीमठ आपदा: कहां हैं उत्तराखंड के पर्यावरण मंत्री? कहां है पर्यावरण विभाग?

जोशीमठ आपदा के वक्त देश और प्रदेश के पर्यावरण मंत्री कहां हैं? उठ रहे हैं सवाल

भू-धंसाव की वजह से आपदाग्रस्त जोशीमठ को लेकर उत्तराखंड सरकार कई सवालों से घिर गई है। अभी तक ना तो भू-धंसाव और मकानों में दरार आने की असल वजह सामने आई है और ना ही लोगों के मुआवजे और पुनर्वास का प्लान बना है। आपदा के दौरान प्रदेश में कोई पर्यावरण मंत्री ना होने और पर्यावरण विभाग की सक्रियता दिखाई ना पड़ने पर सवाल उठने लगे हैं।

कांग्रेस नेता गुरदीप सिंह सप्पल ने ट्विट किया है कि उत्तराखण्ड सरकार में अब कोई पर्यावरण मंत्री क्यों नहीं है? 2022 तक होता था। मोदी सरकार पर्यावरण मंत्री कौन हैं, क्या आपको याद है? क्या वो जोशीमठ गए हैं? क्या आपको चिंता नहीं होनी चाहिए?

असल में उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन विभाग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने पास रखा है। जबकि 2022 से पहले प्रदेश में वन और पर्यावरण मंत्री हुआ करते थे। अब वन मंत्री तो सुबोध उनियाल हैं लेकिन उनके पास पर्यावरण विभाग नहीं है। असल में पर्यावरण विभाग कहां है, यह भी एक सवाल है। सुबोध उनियाल के अलावा प्रदेश के पर्यटन और धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज भी आपदा के दौरान जोशीमठ में नजर नहीं आए। लोक निर्माण और जलागम प्रबंधन का जिम्मा भी सतपाल महाराज के पास है। फिर भी जोशीमठ को आपदा से उबारने की कवायदों में महाराज कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।

जिस जोशीमठ आपदा की चर्चा पूरे देश और दुनिया भर में हो रही है, उसे लेकर प्रदेश के पर्यावरण विभाग की कोई गतिविधि दिखायी नहीं पड़ रही है। यही हाल केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय का है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव अब तक ना तो जोशीमठ गए और ना ही पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से जोशीमठ को लेकर कोई सक्रियता दिखायी दी। पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील उत्तराखंड में पर्यावरण विभाग और मंत्रालय की यह स्थिति चिंताजनक है। जबकि उत्तराखंड के संतुलित विकास के लिए बहुत-से जमीनी और नीतिगत प्रयासों की जरूरत है। ऐसे में पर्यावरण प्रबंधन और संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है, जिसकी जिम्मेदारी पर्यावरण विभाग पर होती है।

उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताते हैं कि राज्य में पहले वन और पर्यावरण विभाग एक साथ थे। तब पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर कुछ योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जाते थे। लेकिन जब से उत्तराखंड में वन और पर्यावरण विभाग अलग हुए पर्यावरण से जुड़ी गतिविधियां सीमित होती जा रही हैं। वन विभाग मुख्यालय में एक पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन सेल था। उसे भी वन विभाग से हटाकर अलग कर दिया।

साल 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पर्यावरण को वन विभाग से अलग करते हुए एक अलग विभाग का दर्जा दिया था। साथ ही राज्य पर्यावरण, संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय का गठन किया गया था। तब कहा गया था कि यह निदेशालय उत्तराखंड में पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन से संबंधित समस्त मामलों में सरकारी विभागों के बीच तालमेल के लिए एक छत्र के तौर पर काम करेगा। जोशीमठ आपदा के समय यह छत्र पता नहीं कहां है। वैसे, आजकल पर्यावरण विभाग की भूमिका पर्यावरण बचाने से ज्यादा पर्यावरण मंजूरी देने और बड़ी परियोजनाओं का रास्ता साफ करने तक सीमित हो गई है।

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