भीषण आपदा की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार से पर्याप्त मदद नहीं मिल पा रही है। आपदा से उबरने के लिए संसाधन जुटाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी 51 लाख रुपये की जमापूंजी आपदा से निपटने के लिए सरकार को दान कर दी।
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन से आई आपदा को केंद्र सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया है। केंद्र से पर्याप्त मदद ना मिलने के कारण आपदा राहत कोष पर राज्य सरकार की निर्भरता बढ़ गई है। इस बीच, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने तीन निजी खातों से 51 लाख रुपये की जमापूंजी मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में दान कर मिसाल पेश की है। अपने सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने पत्नी कमलेश ठाकुर की मौजूदगी में 51 लाख रुपये का चेक मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सौंपा।
यह संभवत: देश में पहली बार हुआ है जब किसी मुख्यमंत्री ने पद पर रहते हुए अपनी जमापूंजी आपदा से जूझने में दान कर दी। इससे प्रदेश की जनता को राहत कोष में बढ़-चढ़कर दान देने के लिए प्रेरित किया, वहीं केंद्र सरकार से मदद के मुद्दे को भी परोक्ष रूप से हाईलाइट किया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में हर वर्ग के लोग अपना सहयोग दे रहे हैं। छोटे बच्चे भी अपनी गुल्लक तोड़कर आपदा राहत कोष में दान दे रहे हैं। यह देखकर उनके मन में विचार आया कि उन्हें भी अपनी जमापूंजी दान कर देनी चाहिए।
कोविड काल में भी सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधायक के तौर पर अपना एक साल का वेतन और 11 लाख रुपये की एफडी महामारी से लड़ने के लिए दान की थी। इस साल बरसात में मची तबाही ने हिमाचल प्रदेश की कमर तोड़ दी है। 24 जून से लेकर अब तक हिमाचल में आपदा में 430 से अधिक लोग जान गवां चुके हैं। प्रदेश को करीब 8680 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने लोगों से मदद की अपील की है।
अब तक मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में 170 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि जमा हो चुकी है। लेकिन भारी नुकसान को देखते हुए यह नाकाफी है। मुख्यमंत्री सुक्खू लगातार केंद्र सरकार से हिमाचल में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार हिमाचल की मदद करेगी।
