शिमला शहर के लोगों को अब प्राकृतिक खेती के उत्पाद आसानी से मिल सकेंगे। उपभोक्ताओं को रसायन मुक्त फल-सब्जियां उपलब्ध कराने के लिए पायलट आधार पर मोबाइल वैन की व्यवस्था की गई है। इसके जरिए शिमला के आसपास मशोबरा, बसंतपुर और टोटू क्षेत्र के प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के उत्पाद आसानी से शहरी उपभोक्ताओं तक पहुंच सकेंगे। शिमला में मोबाइल वैन के जरिए रसायन मुक्त फल-सब्जियां बेचने की यह पहल प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (पीके3वाई) के तहत शुरू होने जा रही है।
शिमला में 15 सितंबर से हर शुक्रवार को फल, सब्जियां और अन्य उत्पाद लेकर एक मोबाइल वैन राज्य सचिवालय, छोटा शिमला, एचपीयू परिसर, समरहिल और कृषि भवन, बोइल्यूगंज में कुछ घंटों के लिए खड़ी होगी। शुरुआत में चुनिंदा स्थानों पर प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री की जाएगी। उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने पर बिक्री के स्थानों में बढ़ोतरी की जाएगी। हर शुक्रवार को मोबाइल वैन के जरिए सचिवालय में एक से 2.30 बजे तक, प्रदेश विश्वविद्यालय समरहिल में तीन से चार बजे तक और कृषि भवन में शाम 4.15 से 5.30 रसायन मुक्त उत्पादों की बिक्री होगी।
कृषि विभाग की इस पहल से शिमला जिला के 3 विकास खंडों के 200 से अधिक किसान जुड़े हैं। इन किसानों के उत्पाद सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाए जाएंगे। इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत का मकसद उपभोक्ताओं को रसायन मुक्त फल, सब्जियां और अन्य उपज मुहैया कराने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की बाजार तक पहुंच बनाना है। धीरे-धीरे इस पहल का विस्तार प्रदेश के अन्य जिलों में भी किया जाएगा।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश में पांच साल पहले प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (पीके3वाई) शुरू की गई थी। राज्य में लगभग 1.70 लाख किसान आंशिक या पूर्ण रूप से रसायन मुक्त, पर्यावरण अनुकूल खेती के तौर-तरीकों को अपना रहे हैं। प्राकृतिक खेती के मामले में हिमाचल प्रदेश देश में अपनी पहचान बना रहा है।
