उत्तराखंड में जिस चार धाम सड़क परियोजना को सरकार ने पर्यावरणविदों की तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर ऑल वेदर रोड के नाम पर आगे बढ़ाया, वे दावे बरसात में ध्वस्त होते नजर आ रहे हैं। पर्यावरणविद राज्य में कम चौड़ी मगर टिकाऊ सड़कों के पक्ष में हैं, जबकि सरकार पहाड़ों में बड़े-बड़े हाईवे बनाना चाहती है। इसके लिए पहाड़ों को ज्यादा खोदना पड़ता है। जंगलों का ज्यादा विनाश होता है। चार धाम परियोजना के तहत केंद्र सरकार ने चौड़ी सड़कें बनाने का बीड़ा उठाया है, जिसकी कलई इस साल भी बारिश के मौसम में खुल गई है।
चमोली जिले में बद्रीनाथ नेशनल हाईवे का लगभग 100 मीटर हिस्सा गोचर क्षेत्र में कमेड़ा के पास पूरी तरह बह गया। इसे ठीक करने में 2-3 दिन का समय लग सकता है। दोनों तरफ वाहनों की लाइन लगी है। बद्रीनाथ धाम जाने वाले यात्रियों से अगले 2-3 दिन तक इस मार्ग पर यात्रा न करने की अपील की गई है। इसके अलावा बद्रीनाथ हाईवे कई जगह अवरुद्ध हुआ है। बदरीनाथ यात्रा फिलहाल रुक गई है।
केदारनाथ हाईवे का भी लगभग यही हाल है। जगह-जगह सड़क पर मलबा आने से रास्ते बंद हो रहे हैं। बाधित मार्गों को सुचारू करने के लिए प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। चार धाम मार्ग पर सिरोबगड़, भटवाड़ीसैण, अंधेर घड़ी, बांसवाड़ा और तिलवाड़ा जैसे कई स्थान अक्सर भूस्खलन की चपेट में रहते हैं।
ऋषिकेश-यमुनोत्री हाईवे पर डाबरकोट के पास लगातार मलबा आने के कारण यातायात बंद हो गया। इससे पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी आवाजाही में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्यानाचट्टी से लेकर जानकीचट्टी के बीच हाईवे बाधित रहा। उत्तराखंड में लगातार बारिश के कारण फिलहाल तीन नेशनल हाईवे समेत करीब 275 मार्ग बंद हैं। रुद्रप्रयाग से कर्णप्रयाग के बीच कई जगह सड़क पर मलबा आने से रास्ते बंद हो गये।
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला कर्णप्रयाग-गैरसैंण नेशनल हाईवे का एक हिस्सा कालीमाटी के पास वॉशआउट हो गया। इसी तरह जोशीमठ-मलारी बॉर्डर रोड जुम्मा के पास बह गई। वहां आवागमन के लिए पैदल पुल बनाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले चार धाम को जोड़ने वाले राजमार्गों के विकास के लिए ऑल वेदर रोड परियोजना का ऐलान किया था। दावा किया गया था कि हर मौसम में सुचारू रहने वाले चौड़े और सुविधाजनक हाईवे बनाए जाएं। लेकिन चार धाम मार्गों की मौजूदा हालात उन दावों से दूर है।
करीब 12 हजार करोड़ रुपये की लागत से 889 किलोमीटर हाईवे का डेवलमेंट होना था। इस परियोजना के लिए जिस पैमाने पर पहाड़ों को खोदा गया, पेड़ों का कटान हुआ, उसे लेकर शुरू से ही चिंताएं जतायी जा रही हैं। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर इन चिंताओं को दरकिनार कर दिया गया। जिस तरह चार धाम मार्ग बारिश और भूस्खलन की चपेट में आ रहे हैं, उसे लेकर ऑल वेदर रोड के दावों पर सवाल उठने लाजमी हैं।
ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट को अब सरकार चार धाम सड़क परियोजना के नाम से चला रही है। परियोजना 2024 तक पूरी होनी है। इसकी राह में पर्यावरण मंजूरी की दिक्कतें ना आएं इसलिए 889 किलोमीटर के प्रोजेक्ट को 53 हिस्सों में बांटा गया। पर्यावरण चिंताओं को नजरअंदाज कर पर्वतीय क्षेत्रों में 7 मीटर की बजाय 10 मीटर चौड़ी सड़क बनाने का फैसला लिया गया।
