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‘बकरी छाप’ की अनूठी पहल, बिना रेटलिस्ट वाला कैफे, PAY WHAT YOU LIKE

उत्तराखंड के परंपरागत खानपान को पहचान दिलाने के साथ-साथ छोटे किसानों को बाजार मुहैया कराने की पहल

किसान और उपभोक्ता आजकल एक समस्या से जूझ रहे हैं। किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलता है। जबकि उपभोक्ता महंगा खरीदने को मजबूर हैं, फिर भी शुद्ध और पौष्टिक नहीं मिल पा रहा है। इस समस्या को हल करने के लिए रूरल व एग्रो टूरिज्म ब्रांड ‘बकरी छाप’ ने एक सामाजिक प्रयोग किया है। इसका नाम है “5S by bakrichhap” कैफे जो देहरादून के ईसी रोड इलाके में खुला है। असल में, यह कैफे से बढ़कर उत्तराखंड के ग्रामीण उत्पादों को पहचान दिलाने का एक प्रयास है। ताकी किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिले और उत्तराखंड के गांव खाली ना हों।

इस पहल के बारे में ‘बकरी छाप’ से जुड़े यतेंद्र ममगाईं बताते हैं कि 5S का मतलब है सूप, सलाद, स्प्राउट, स्मूदिज एंड सैंडविच। ये सभी चीजें हम उत्तराखंड के छोटे किसानों से जो उपज खरीदते हैं, उन्हीं से तैयार करते हैं। इनमें झंगोरा, कोदा, मंडुवा, रामदाना, चुकंदर, शहद, बुरांश, माल्टा आदि शामिल हैं। यतेंद्र बताते हैं कि किसानों को MSP या मंडी से बेहतर दाम दिया जाता है। उत्तराखंड के खानपान को लोकप्रिय बनाने के लिए फाइव स्टार होटलों के शेफ बुलाए जाएंगे, जो स्थानीय उत्पादों से अपनी डिश तैयार करेंगे। इस तरह नए-नए प्रयोग होंगे। यह पूरा प्रयास pro planet, pro people और for-profit है।

क्या है PAY WHAT YOU LIKE

यतेंद्र बताते हैं कि 5S कैफे की एक विशेषता यह है कि यहां किसी चीज का कोई दाम तय नहीं है। कोई प्राइस टैग या रेट लिस्ट नहीं है। यहां लोग निमंत्रण या रेफरेंस के माध्यम से आएंगे। सीमित मैन्यू है। जितनी भी चीजें हैं वो स्थानीय उत्पादों से निर्मित हैं और उत्तराखंड का स्वाद समेत हुए हैं। कैफे में आप चाहे जितनी देर बैठें, जितना मर्जी खाएं-पीएं मगर कितना भुगतान करना है, इसका कोई आग्रह नहीं है। एक बॉक्स रहेगा, जिसमें आप जितना मर्जी पैसा डाल सकते हैं। इस बॉक्स को महीने के आखिर में खोला जाएगा। किसने क्या दिया, यह भी पता नहीं चलेगा। हम हर इंसान को बराबर ट्रीट करेंगे। PAY WHAT YOU LIKE का यह कॉन्सेप्ट बकरी छाप का रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क है।

रिडूस, रियूज और रिसाइकल 

उत्तराखंड का स्वाद परोसने वाला यह कैफे सामूहिक योगदान से जुटाई चीजों से सजाया गया है। इसकी भी दिलचस्प कहानी है। यतेंद्र बताते हैं कि पूरा कैफे अपसाइकल की हुई चीजों से बना है। मतलब, कुछ भी बाजार से नया नहीं खरीदा। किसी ने गमले दे दिए, किसी ने क्रॉकरी दी तो किसी ने पर्दे! जो चीजें दूसरों के इस्तेमाल की नहीं थीं, उन चीजों से 5S कैफे को संवारा गया। यह भी एक तरीका है रिडूस, रियूज और रिसाइकल के संदेश को फैलाने का।

लीक से हटकर प्रयासों को सपोर्ट

5S कैफे उत्तराखंड के छोटे किसानों की खुशहाली और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को उद्यमिता के जरिए बढ़ावा देने की भावना से संचालित है। कैफे में ‘बकरी छाप’ के उत्पादों के अलावा सार्थक प्रयास कर रहे अन्य लोगों और संस्थानों के उत्पादों को भी जगह दी जाएगी। इस तरह उत्तराखंड के स्वादिष्ट के व्यंजनों के साथ-साथ कई दिलचस्प प्रयासों से रूबरू होने को मौका मिलेगा। यतेंद्र बताते हैं कि यह कैफे से बढ़कर उत्तराखंड के गांव और किसानों के बेहतरीन उत्पादों को दुनिया तक पहुंचाने का प्लेटफॉर्म बने, यही उद्देश्य है।

रूरल टूरिज्म में धूम मचा चुका है ‘बकरी छाप’

‘बकरी छाप’ को उत्तराखंड के खाली हो रहे गांवों में उद्यमिता के जरिए रूरल टूरिज्म और रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। ‘बकरी छाप’ छोटे किसानों की मार्केट तक पहुंच बढ़ाने के लिए भी काम करता है। दयारा बुग्याल और नाग टिब्बा में ‘गोट विलेज’ न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, बल्कि गढ़वाल की सदियों पुरानी धरोहर को बचाने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। समुदाय आधारित रूरल टूरिज्म में बकरी छाप ने अपनी अनूठी छाप छोड़ी है।

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