चमोली जिले की उर्गम घाटी में ओवरलोडेड वाहन के खाई में गिरने से 12 लोगों की मौत हो गई। 10 सीटर मैक्सा में 17 लोग सवार सवार थे। जहां यह हादसा हुआ वह उर्गम-पल्ला जखोला मार्ग 2020 से निर्माणाधीन है। कड़ाके की ठंड और गहरी खाई होने के कारण शवों को निकालने में जवानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उत्तराखंड में सड़क हादसे अनवरत जारी रहने वाली आपदा हैं। आज सुबह उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर एक कार खाई में गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई। कल से आज तक दो हादसों में 17 लोग की जान जा चुकी है लेकिन किसी की जवाबदेही तय नहीं है।
नीतिगत मामलों के जानकार अनूप नौटियाल का कहना है कि उत्तराखंड में पिछले छह महीनों तीन बड़े सड़क हादसों में 72 लोगों की जान गई। सड़क सुरक्षा के लिए विभिन्ने विभागों के बीच अलग-अलग स्तर पर समन्वय और प्रतिबद्धता जरूरी है। फिलहाल उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा के लिए न तो कोई प्लानिंग है और न ही कोई प्रोग्राम।
निर्णाणाधीन सड़कों पर दौड़ते वाहन
वाहनों की ओवरलोडिंग और खराब सड़कें उत्तराखंड में सड़क हादसों की दो सबसे बड़ी वजह हैं। चमोली में जिस उर्गम-पल्ला जखोला मार्ग पर हादसा हुआ वह साल 2020 से निर्माणाधीन है। लोग खड़ी चढ़ाई और उबड़-खाबड़ चट्टानी रास्ते पर चलने को मजबूर हैं। इससे वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है। राज्य में हाईवे के निर्माण पर सरकार काफी जोर दे रही है लेकिन दूरदराज के इलाकों के जोड़ने वाले संपर्क मार्गों की हालत खराब है। कई सड़कों पर आधे-अधूरे निर्माण के बावजूद वाहनों की आवाजाही जारी रहती है।
सड़क हादसों पर मंत्रियों की चुप्पी
बीते दो दिनों में दो सड़क हादसों में 17 लोगों की मौत के बावजूद परिवहन मंत्री चंदन रामदास और लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। भीषण सड़क हादसों के बावजूद राज्य सरकार इस मुद्दे पर बहुत अधिक गंभीरता नहीं दिख रही है। ना ही सड़क हादसों की रोकथाम के लिए कारगार कदम उठाए जा रहे हैं।
पुराने हादसे की जांच रिपोर्ट का पता नहीं
हर बड़े सड़क हादसे के बाद घटना की जांच का ऐलान होता है। इस साल जून में उत्तरकाशी के डामटा में हुई बस दुर्घटना में 26 लोग मारे गए थे। उस घटना की जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन क्या जांच हुई, क्या सामने आया, कुछ पता नहीं है।
