सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त टिप्पणी की है। NCR में प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाकर कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को आर्थिक फायदा क्यों दिया जाए। ऐसे लोगो पर एफआईआर, जुर्माने लगाने के अलावा उन्हें MSP से भी वंचित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसा करिए जिससे उनकी जेब को धक्का लगे। कोर्ट ने किसानों को लेकर यह भी कहा कि उन्हें खलनायक बनाया जा रहा है और खलनायक की बात नहीं सुनी गई है। हो सकता है कि ऐसा करने से उनके पास कुछ कारण हो।
राजनीति भूल कर दिमाग लगाएं
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को राजनीति भूलकर’ पराली जलाने को कैसे रोका जाय, इस पर दिमाग लगाना चाहिए। उसने कहा कि एक-दूसरे पर आरोप का खेल जारी रहने से वायु प्रदूषण के कारण लोग प्रभावित होंगे। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि लोगों को इससे कोई सरोकार नहीं है कि आप इसे कैसे करते हैं और आप क्या करते हैं तथा अदालत का काम बारीकियों में पड़ना नहीं है। अदालत का काम है काम करवाना, यानी प्रदूषण को रोकना। आप यह कैसे करते हैं यह आपकी समस्या है।
पंजाब में आए 700 से ज्यादा मामले
अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया किया कि रविवार को भी पंजाब में पराली जलाने की 700 से ज्यादा घटनाएं सामने आईं।पीठ ने कहा कि एकमात्र व्यक्ति जो इसका उत्तर दे सकता है वह किसान है। वह आपको बता सकता है कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। वह यहां नहीं है। किसान को खलनायक बनाया जा रहा है और खलनायक की बात नहीं सुनी गई है। हो सकता है कि उसके पास कुछ कारण हों।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी फटकार लगाई। उसने कहा कि पहले सरकार ने कहा कि पंजाब समस्या है, अब कहते हैं कि पंजाब समस्या नहीं है, इसमें राजनीति न करें। इस पर पंजाब सरकार ने कहा कि सरकार की तरफ से जो मशीनें दी गई हैं, उस पर 80 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है। कोर्ट ने कहा कि हरियाणा द्वारा किए गए वित्तीय प्रोत्साहन के प्रयास से पंजाब भी सीख ले सकता है।