सरकार ने गन्ने के रस से बने शीरे के निर्यात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। निर्यात शुल्क 18 जनवरी से प्रभावी होगा। इस फैसले से एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार इस साल पेट्रोल के साथ एथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है। एक्सपोर्ट ड्यूटी लग जाने से शीरे का निर्यात घटेगा और इसका इस्तेमाल एथेनॉल उत्पादन के लिए हो सकेगा। भारत हर साल करीब 15-16 लाख शीरा का निर्यात करता है।
चीनी उत्पादन के गिरावट के बीच बड़ा फैसला
सरकार ने चालू सीजन में चीनी उत्पादन में गिरावट के अनुमान को देखते हुए यह कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार, यह शुल्क 18 जनवरी से प्रभावी होगा। भारत प्रमुख रूप से वियतनाम, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड और फिलीपींस सहित देशों को शीरा निर्यात करता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात शीरा का प्रमुख रुप से निर्यात करते हैं।
इस फैसले से घरेलू डिस्टलरियों के लिए शीरा उपलब्धता बढ़ेगी। एथेनॉल के बिना सरकार ने चालू 2023-24 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन घटकर 3.23-3.3 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है, जो पिछले सीजन में 3.73 करोड़ टन था।
इस्मा ने किया स्वागत
शुगर और एथेनॉल इंडस्ट्री के संगठन इस्मा (आईएसएमए) के प्रेसिडेंट एम प्रभाकर राव ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि हमने सरकार से शीरा के निर्यात को तत्काल प्रभाव से पूरी तरह से रोकने का अनुरोध किया था क्योंकि ऐसा करने से देश के एथेनॉल उत्पादन में वृद्धि होगी। जिससे अन्य फीड स्टॉक पर निर्भरता कुछ हद तक कम हो जाएगी। राव ने इसके अलावा सरकार से अनुरोध किया है कि गन्ने के जूस, बी-हैवी शीरे और सी-हैवी शीरे से बने एथेनॉल के खरीद मूल्य में कम से कम 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करनी चाहिए।