दालों की महंगाई पर अंकुश लगाने की कोशिशों के बीच सरकार ने एक बार फिर आयात पर भरोसा जताया है। बृहस्पतिवार को सरकार ने अरहर और उड़द दाल के ड्यूटी फ्री आयात की अवधि को एक साल बढ़ाकर 31 मार्च 2025 कर दिया है। दलहन उत्पादन में कमी की आशंकाओं के बीच यह फैसला देश की आयात पर बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है। भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक, आयातक और उपभोक्ता है। आंकड़ों के मुताबिक भारत अपनी दालों की जरूरत का 10 से 12 फीसदी आयात से पूरा करता है।
फैसले क्या होगा असर
अब आयातक बिना किसी प्रतिबंध के उड़द और तूअर यानी अरहर का आयात साल 2025 तक कर सकेंगे। सरकार ने यह कदम दालों की कीमतों पर लगाम कसने के लिए लगाया है। वित्त वर्ष 2022-23 में 24.96 लाख टन दलहन का आयात किया गया था। नवंबर महीने में दालों की महंगाई दर बढ़कर 20.23 फीसदी पर पहुंच गई। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में दलहन का उत्पादन वैश्विक उत्पादन की 25 फीसदी हिस्सेदारी करता है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 15 फीसदी और विश्व की खपत का 27 फीसदी है।
मसूर पर पहले ही बढ़ाई गई छूट
इससे पहले केंद्र सरकार ने मसूर के ड्यूटी फ्री आयात की अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी थी। नए फैसले के पहले तक अरहर, मसूर और उड़द दाल के आयात पर 31 मार्च 2024 तक छूट थी। भारत में सबसे अधिक दालों का उत्पादन मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र में होता है। जबकि अरहर का उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना में होता हैं। कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार चालू खरीफ सीजन में दलहन उत्पादन 71.18 लाख टन रहेगा। जबकि जो पिछले साल यब 76 लाख टन था। है। खरीफ सीजन में यह पिछले 6 साल का सबसे कम दालों का उत्पादन है।