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संघर्ष

जोशीमठ में ध्वस्तीकरण को लेकर बैकफुट पर सरकार, फिलहाल नहीं टूटेंगे मकान

मुआवजे और पुनर्वास से पहले ध्वस्तीकरण को लेकर आलोचनाओं से घिरी धामी सरकार

जोशीमठ में असुरक्षित भवनों को गिराने को लेकर राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई है। प्रभावित परिवारों के विस्थापन, मुआवजे और पुनर्वास की योजना के ऐलान से पहले मकानों को तोड़ने के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आ गए थे। विपक्ष दल कांग्रेस ने भी मुआवजे से पहले बुलडोजर चलाने पर सवाल उठाये। लोगों के विरोध के चलते दो होटलों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू नहीं हो पायी। आखिरकार धामी सरकार को मकानों के ध्वस्तीकरण से हाथ खींचना पडा।

बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दोबारा जोशीमठ पहुंचे और आपदा प्रभावित लोगों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में जिन मकानों में दरारें आयी हैं, उन मकानों को ध्वस्त करने की अफवाह फैलाई जा रही है। उन्होंने सभी से अपील की है कि इन अफवाहों पर ध्यान न दें। प्रभावित क्षेत्र में मकानों को ध्वस्त करने की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अभी सिर्फ दो होटल तोड़े जाएंगे, वह भी सभी की सहमति से। सरकार इस विपदा की घड़ी में लोगों के साथ खड़ी है।

राज्य सरकार की ओर से आपदा प्रभावित परिवारों को तत्काल 1.5 लाख रुपये की अंतरिम सहायता का ऐलान किया गया है। इसमें 50 हजार रुपये घर शिफ्ट करने और एक लाख रुपये अग्रिम सहायता राशि के तौर पर दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री आज रात जोशीमठ में रहेंगे और पूरी स्थिति की समीक्षा करेंगे।

आज मुख्यमंत्री के सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम और जिला प्रशासन ने भी आपदा प्रभावित लोगों के साथ बैठक की। सचिव मुख्यमंत्री ने कहा कि भू-धंसाव से जो लोग प्रभावित हुए हैं उन्हें मार्केट रेट पर मुआवजा दिया जाएगा। मार्केट की दर हितधारकों के सुझाव लेकर और जनहित में तय की जाएगी। हालांकि, जोशीमठ के लोग बदरीनाथ की तर्ज पर मुआवजे की मांग कर रहे हैं, जबकि राज्य सरकार उत्तरकाशी की तर्ज पर मुआवजा देना चाहती है। इस लेकर सरकार और लोगों के बीच गतिरोध बना हुआ है। 

कहां से आई ध्वस्तीकरण की बात?

आज भले ही मुख्यमंत्री धामी मकानों के ध्वस्तीकरण को अफवाह करार दे रहे हैं। लेकिन सोमवार को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की थी। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, उस बैठक में मुख्य सचिव ने कहा था कि जिन भवनों में दरारें आ चुकी हैं और जर्जर हो चुके हैं, उन्हें शीघ्र ध्वस्त किया जाए ताकि वे और अधिक नुकसान न पहुंचायें।

मंगलवार को मुख्य सचिव ने प्रभावित क्षेत्र को पूर्ण रूप से खाली करवाने के निर्देश दिए थे। मुख्य सचिव ने कहा था कि भूस्खलन से किसी प्रकार का जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए सबसे पहले परिवारों को शिफ्ट किया जाए और उस बिल्डिंग को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किया जाए जो अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। 

आनन-फानन में ध्वस्तीकरण के फैसला और फिर इससे पल्ला झाड़ना सरकार के आपदा प्रबंधन की खामियों को उजागर करता है। अब तक न तो सरकार और ना ही तकनीकी विशेषज्ञ जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण का पता लगा पाए। लोगों के विस्थापन, मुआवजे और पुनर्वास को लेकर भी स्पष्टता नहीं है। इस बीच बारिश, बर्फबारी और ठंड बढ़ने से हालात मुश्किल होते जा रहे हैं।

खतरे के निशान ने बढ़ाई बेचैनी

स्थानीय प्रशासन ने जोशीमठ के कुछ वार्डों को डेंजर जोन घोषित कर असुरक्षित मकानों पर खतरे का लाल क्रॉस का निशान लगा दिया है। इससे आपदा प्रभावित लोगों में घर छूटने और टूटने का डर बैठ गया। जबकि लोगों के विस्थापन और पुनर्वास का कोई पुख्ता प्लान सामने नहीं रखा। यह भी ध्वस्तीकरण के विरोध का प्रमुख कारण बना।

ध्वस्तीकरण का विरोध

जोशीमठ के क्षतिग्रस्त होटल माउंट व्यू और मलारी इन को ध्वस्त करने के लिए मंगलवार को जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, पुलिस और सीबीआरआई, रुड़की के विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंच गई थी। तब चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने भी असुरक्षित घरों को ध्वस्त करने की बात कही थी। लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू नहीं हो पायी। होटल मालिक और स्थानीय लोगों का कहना था कि मुआवजा तय किये बगैर भवनों को तोड़ना सरासर गलत है।    

कांग्रेस ने सरकार को घेरा

जोशीमठ में ध्वस्तीकरण के मुद्दे को विपक्षी दल कांग्रेस ने भी जोरशोर से उठाया। बिना मुआवजा भवनों को तोड़ने के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मौन उपवास पर बैठ गए तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जोशीमठ मामले पर मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बात की।

अभी तक जोशीमठ के कुल 723 भवनों में दरारें मिली हैं जबकि चार वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। इनमें 86 भवन असुरक्षित हैं। कुल 131 परिवार के 462 लोगों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया गया है। कड़ाके की ठंड में लोगों के लिए अपना घरबार छोड़कर अस्थायी जगहों पर शिफ्ट होना काफी मुश्किल होगा। संभवतः इसलिए भी सरकार मकानों को गिराने की कार्रवाई से बच रही है।

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