कमजोर मानसून के चलते खरीफ की बुवाई और जलाशयों के जलस्तर ने महंगाई को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने महंगाई के मद्देनजर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। आरबीआई का लक्ष्य है कि सालाना खुदरा महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के बीच होनी चाहिए जबकि जुलाई में खुदरा महंगाई 15 माह के उच्चतम स्तर 7.44 फीसदी तक पहुंच गई थी। अगस्त में खुदरा महंगाई दर 6.83 फीसदी थी।
सबसे ज्यादा चिंता खाद्य महंगाई को लेकर है जो 10 फीसदी से ऊपर चल रही है। इस साल खरीफ की बुवाई पर मौसम की मार पड़ी है जबकि देश के प्रमुख जलाशयों का घटा जलस्तर रबी फसलों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।
इस साल खरीफ सीजन में कुल 11.07 करोड़ हेक्टेअर क्षेत्र में फसलों की बुवाई हुई है जो गत वर्ष के 11.05 करोड़ हेक्टेअर क्षेत्र से अधिक है। जुलाई में अच्छी बारिश के चलते धान की बुवाई का रकबा बढ़ा है लेकिन अगस्त में काफी कम बारिश हुई। बारिश का वितरण भी असामान्य रहा है। तिलहन की बुवाई करीब 4 फीसदी और दलहन की बुवाई 2 फीसदी कम हुई। इसका असर खरीफ के उत्पादन पर पड़ सकता है।

मानसून में सामान्य से 94 फीसदी बारिश
चार महीने के मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देश में 820 मिमी बारिश दर्ज की गई जो 868.6 मिमी. के दीर्घकालिक औसत का 94.4 फीसदी है। दीर्घकालिक औसत के मुकाबले 96 से 104 फीसदी के बीच बारिश को मौसम विभाग सामान्य मानता है। इस साल देश में सामान्य से कम बारिश के पीछे अल नीनो प्रभाव को भी वजह माना जा रहा है। मौसम विभाग ने इस साल मानसून सीजन में दीर्घकालिक औसत के मुकाबले 96% ± 4% बारिश का पूर्वानुमान दिया था।
मानसून सीजन में बारिश के क्षेत्रवार वितरण में काफी असमानता रही है। उत्तर-पूश्चिमी भारत में सामान्य से 101 फीसदी, मध्य भारत में 100 फीसदी, दक्षिण भारत में 92 फीसदी और पूर्व व पूर्वोत्तर भारत में 82 फीसदी बारिश हुई। देश के कुल 36 मौसम उपक्षेत्रों में से 7 में सामान्य से कम बारिश हुई है जबकि 26 उपक्षेत्रों में सामान्य बारिश दर्ज की गई है। राहत की बात है कि मानसून के कोर जोन में सामान्य बारिश हुई है। देश का 52 फीसदी कृषि क्षेत्र सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है।
बारिश का असमान वितरण भारतीय कृषि के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। कई जगह महीने भर की बारिश कुछ ही दिनों में हो गई। जुलाई में सामान्य से 113 फीसदी हुई तो अगस्त में सामान्य के मुकाबले में केवल 64 फीसदी बारिश दर्ज की गई। जिन क्षेत्रों में औसतन सामान्य बारिश हुई है, वहां क्षेत्र के भीतर बारिश के वितरण में काफी अंतर है।
खरीफ की बुवाई की स्थिति
खरीफ की प्रमुख फसल धान की बुवाई 411.52 लाख हेक्टेअर में हुई है जो गत वर्ष के 400.72 लाख हेक्टेअर क्षेत्र से करीब 3 फीसदी अधिक है। गन्ने और मोटे अनाजों का क्षेत्र भी बढ़ा है। लेकिन दलहन और तिलहन की बुवाई में कमी आई है। इस साल खरीफ दलहन फसलों की बुवाई 122.57 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में हुई जबकि गत वर्ष यह आंकड़ा 128.49 लाख हेक्टेअर था। अरहर, मूंग, उड़द जैसी प्रमुख दलहन फसलों की बुवाई के क्षेत्र में कमी देश की खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अच्छी खबर नहीं है।
तिलहन फसलों का क्षेत्र इस खरीफ सीजन में गत वर्ष के 196.08 लाख हेक्टेअर से घटकर 192.91 लाख हेक्टअर रह गया है। कपास की बुवाई का क्षेत्र भी घटा है। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में गुलाबी सुंडी के प्रकोप के चलते कपास की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है।
जलाशयों की स्थिति
बारिश में कमी और असमान वितरण के चलते देश के 150 प्रमुख जलाशयों का जलस्तर पिछले 10 साल के औसत स्तर से कम है। यह स्थिति दक्षिण भारत के जलाशयों की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है और इसका असर रबी फसलों की सिंचाई पर पड़ सकता है। 150 प्रमुख जलाशयों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 42 जलाशयों में उनकी क्षमता का 50 फीसदी जलस्तर है।
