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हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने की तैयारी!

हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी वैधता मिल सकती है। इस मुद्दे पर हिमाचल सरकार द्वारा गठित समिति ने प्रदेश में औद्योगिक व औषधीय इस्तेमाल के लिए भांग की नियंत्रित खेती को अनुमति देने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गत शुक्रवार को यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश की।

पांच सदस्यों की समिति हिमाचल के राजस्व व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में बनाई गई थी। समिति ने गैर मादक उपयोग हेतु भांग की नियंत्रित खेती के लिए एनडीपीएस नियम, 1989 में संशोधन का सुझाव दिया है। इससे गैर मादक उपयोग के लिए भांग की खेती को कानूनी दर्जा मिल सकता है। इसकी संभावनाएं तलाशने के लिए समिति भांग उत्पादक देशों का दौरा भी करेगी।

फिलहाल हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती करना गैरकानूनी है, जबकि उत्तराखंड में औद्योगिक इस्तेमाल के लिए सरकारी नियमों के तहत भांग उगाने की अनुमति दी जाती है। गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी कानूनी अनुमति से भांग की खेती होती है। इसके लिए एनडीपीएस एक्ट के तहत मंजूरी दी जाती है। समिति इन राज्यों का दौरा कर चुकी है। देहरादून के सेलाकुई स्थित सेंटर फॉर एरोमेटिक प्लांट से भांग की नर्सरी की जानकारी प्राप्त की गई है।

हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती से जुड़े मुद्दों पर विचार के लिए राज्य सरकार ने इस साल अप्रैल में यह समिति गठित की थी। समिति के अध्यक्ष जगत सिंह नेगी का कहना है कि हिमाचल की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां भांग की खेती के लिए अनुकूल है। राज्य में जंगली तौर पर भांग उगती है लेकिन प्रवर्तन एजेंसियों इसे नष्ट कर देती हैं। गैर मादक उपयोग के लिए भांग की खेती से किसानों को लाभ पहुंचाया जा सकता है।

हिमाचल की आर्थिकी को मजबूत करेगी भांग

माना जा रहा है कि भांग की खेती हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी को मजबूती दे सकती है। भांग के पौधे का इस्तेमाल कई तरह के रेशे, कॉस्मेटिक्स, दवाइयों, कच्चे माल और जैव ईंधन में किया जाता है। हिमाचल के मंडी, कुल्लू, सिरमौर, शमिला और चंबा सहित कई क्षेत्रों में अवैध रूप से भांग उगाया जाता है। कुल्लू मलाणा जैसे क्षेत्र को भांग का हब माना जाता है। लेकिन नशे के लिए भांग का इस्तेमाल रोकना बड़ी चुनौती है।    

नीति और नियम-कायदे तय होंगे

जगत सिंह नेगी का कहना है कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भांग की खेती लीगल है। गैर मादक भांग की खेती से राज्य की आय में वृद्धि होगी। कानून में भी इसका प्रावधान है। भांग की खेती उर्वरक और कीटनाशकों के बिना हो सकती है। हिमाचल प्रदेश में कई जिलों के पंचायत प्रतिनिधि भी भांग की खेती की अनुमति दिए जाने के पक्ष में हैं। सरकार नियंत्रित वातावरण में गैर-मादक भांग की खेती की नीति, नियम-कायदे और प्रक्रिया तय कर सकती है।  NDPS एक्ट में राज्यों को भांग की खेती लीगल करने का अधिकार दिया गया है। 

विपक्ष ने उठाए

हिमाचल विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने भांग की खेती को लीगल करने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार नशामुक्त भांग की खेती की बात कर रही है लेकिन यह कैसे संभव होगा, यह बड़ा सवाल है। दूसरे राज्यों में क्या परिणाम रहे हैं, उस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।   

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