चालू वित्त वर्ष में पोल्ट्री बिजनेस कमाई का अच्छा जरिया बन सकता है। इस साल भारतीय पोल्ट्री उद्योग के राजस्व में 8-10 फीसदी बढ़ोतरी की संभावना है। मंगलवार को जारी रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पोल्ट्री मार्केट में विस्तार से कमाई के अवसर बढ़ेंगे। अच्छी मांग और फीड की कीमतों में नरमी से पोल्ट्री उद्योग को फायदा मिलेगा। पोल्ट्री उद्योग की प्रति किलोग्राम कमाई 101 रुपये से बढ़कर 107 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। इसमें आगे भी बढ़ोतरी की संभावना है।
क्या कहती है रिपोर्ट
रेटिंग एजेंसी इक्रा द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय पोल्ट्री उद्योग की कमाई चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 8-10 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में कमाई अच्छी रही थी। लेकिन बाद में अतिरिक्त आपूर्ति के कारण उनमें कमी आनी शुरू हो गई। इसके बाद चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में मांग बढ़ने से औसत प्राप्ति बढ़कर 107 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 101 रुपये प्रति किलोग्राम थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष वित्त वर्ष में त्योहार और ठंड की वजह से मांग और कमाई को सपोर्ट बना रहेगा।
लागत में कमी का असर
रिपोर्ट के अनुसार, पोल्ट्री उद्योग को बढ़ती मांग, नियंत्रित आपूर्ति और फीड की लागत में नरमी से मदद मिली है। मक्का, जो फीड लागत का 60-65 प्रतिशत है, उसकी कीमतों में 2022-23 की पहली छमाही में नौ प्रतिशत की गिरावट आई है। सोयाबीन (चारा लागत का 30-35 प्रतिशत) में 21 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि कच्चे माल की कीमतें अब तक अनुकूल रही है, लेकिन खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन की फसल में पर्याप्त कमी और मक्के की बुवाई में देरी से चारा लागत में संभावित बढ़ोतरी पर चिंता बढ़ गई है, जिससे पोल्ट्री कंपनियों के मार्जिन पर दबाव पड़ने की संभावना है।
काबू में रहा बर्ड फ्लू
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में देश भर में एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू की सीमित घटनाएं हुई हैं। वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में केरल और झारखंड में बर्ड फ्लू की स्थानीय घटनाएं दर्ज की गईं, जो आगे नहीं फैलीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी बड़े स्थानीय प्रकोप से प्रभावित और आसपास के क्षेत्रों में मांग और कमाई पर प्रभाव पड़ सकता है।
लंबी अवधि में भारतीय पोल्ट्री कंपनियों को वैश्विक बाजार में नए अवसर मिलने की उम्मीद है। मध्यम से लंबी अवधि में, उम्मीद है कि बढ़ती शहरी आबादी और खान-पान की बदलती आदतों के कारण घरेलू मांग अनुकूल रहेगी।