कृषि में फर्टिलाइजर और कीटनाशक का अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए केंद्र सरकार आर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना शुरू की है, जिसके जरिए किसानों को कैमिकल मुक्त जैविक खेती करने के लिये 3 साल के लिये प्रति हेक्टेअर 50,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है। परम्परागत कृषि विकास योजना को साल 2015 में लांच किया गया था। इस योजना के तहत खेतों का क्लस्टर बनाकर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है।
क्या है परंपरागत कृषि विकास योजना
परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों को 3 साल के लिये प्रति हेक्टेअर 50,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है। इस योजना के तहत अनुदान का आवंटन दो किस्तों में होता है। पहली किस्त के रूप में 31,000 रुपये किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर किये जाते हैं। जिससे किसान खेत की तैयारी, जैविक खाद, जैव उर्वरक, जैविक कीटनाशक और आधुनिक किस्म के बीजों का इंतजाम कर सकें। वहीं दूसरी किस्त अगले 2 साल में दी जाती है। इसके जरिए प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, कटाई और मार्केटिंग के लिए सहयोग मिलता है।
कितनी मिलती है सब्सिडी
किसानों के चुने गये क्लस्टर को 20 एकड़ से लेकर 50 एकड़ तक की जमीन पर जैविक खेती के लिये 10 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। इस योजना के तहत निर्धारित क्लस्टर में 65 फीसदी छोटे और सीमांत किसानों और 30 फीसदी महिला किसानों को शामिल किया जाता है।
आवेदन के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स
आधार कार्ड
निवास प्रमाण पत्र
आय प्रमाण पत्र
राशन कार्ड
आधार से लिंक मोबाइल नंबर
पासपोर्ट साइज फोटो
योजना के लिए वेबसाइट https://pgsindia-ncof.gov.in/पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। इसके अलावा योजना से जुड़ी अधिक जानकारी भी इस आधिकारिक वेबसाइट से ली जा सकती है।