सरकार ने चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बड़ा फैसला किया है। चीनी मिलों द्वारा एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इसके जरिए सरकार चुनावी साल में चीनी की कीमतों को काबू में रखना चाहती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले दो महीनों में चीनी के दाम 55 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। दुनिया भर में चीनी की कीमतें 2011 के बाद से सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का अनुमान है कि 2023-24 सत्र में चीनी का वैश्विक उत्पादन दो प्रतिशत तक कम रह सकता है।
एथेनॉल के लिए गन्ने का इस्तेमाल बढ़ा
एथेनॉल के लिए इस समय गन्ने के रस और चीनी के रस का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है, इसलिए चीनी का वैश्विक भंडार 2009 के बाद से सबसे कम है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) का मानना है कि इस साल भारत के चीनी उत्पादन में आठ प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। इसे देखते हुए एथनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया है।
खाद्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरियों के प्रबंध निदेशकों (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) को लिखे पत्र खाद्य मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि चीनी (नियंत्रण) आदेश 1966 के सेक्शन-4 और-5 के तहत सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को निर्देश दिया जाता है कि वे तत्काल प्रभाव से ईएसवाई (एथनॉल आपूर्ति वर्ष) 2023-24 में एथेनॉल के लिए गन्ने के रस/शुगर सिरप का उपयोग न करें। हालांकि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को बी-हेवी शीरे से प्राप्त एथेनॉल की आपूर्ति जारी रहेगी।
शुगर स्टॉक्स धड़ाम
सरकार के इस फैसले के चलते चीनी उत्पादन करने वाली शुगर कंपनियों के स्टॉक्स में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। बृहस्पतिवार को बलरामपुर चीनी 6.74 फीसदी, बजाज हिंदुस्तान शुगर 5.45 फीसदी, डीसीएम श्रीराम 5.14 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ है।