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नीति

महंगाई के मोर्चे पर सरकार सुपर एक्टिव, अपनाई यह रणनीति

केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह
केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह

इस साल कमजोर मानसून और कृषि उत्पादन की स्थिति को देखते हुए महंगाई पर काबू पाना सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। ऐसे समय जब 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, महंगाई के मोर्चे पर केंद्र सरकार सुपर एक्टिव हो गई है। महंगाई से निपटने के लिए नई रणनीति और तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिसके परिणाम भी नजर आने लगे हैं।

जुलाई में खुदरा महंगाई दर 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी। यह आंकड़े न केवल आरबीआई के सामान्य स्तर (2-6 फीसदी) से कहीं ज्यादा थे। लेकिन अक्टूबर के आंकड़ों से साफ है कि महंगाई पर कुछ हद तक नियंत्रण पाने में कामयाबी मिली है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर चार महीने के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत पर रही। यह लगातार दूसरा महीना है जब खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी से कम रही है। खुदरा महंगाई दर में पिछले चार महीने से गिरावट जारी है।

इसी तरह, थोक महंगाई दर अक्टूबर में तीन महीने के निचले –0.52 फीसदी रही है। यह लगातार सातवां महीना है जब थोक महंगाई दर शून्य से नीचे बनी हुई है। खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर गत वर्ष अक्टूबर में 8.45 फीसदी थी जो इस साल अक्टूबर में 2.53 फीसदी रही है। खासतौर पर सब्जियों की थोक महंगाई दर में पिछले साल के मुकाबले काफी गिरावट आई है।

केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने असलीभारत.कॉम को बताया कि सरकार महंगाई की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और आवश्यकता अनुसार त्वरित कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार के महंगाई नियंत्रण के तरीकों में भी बदलाव आया है। पहले अधिकांश कदम थोक बाजार के स्तर पर उठाए जाते थे, जिनका असर कई बार खुदरा बाजार तक नहीं पहुंच पाता था। अब महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए थोक के साथ-साथ खुदरा बाजार में भी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। सीधे उपभोक्ता को राहत पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के तमाम शहरों में उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर प्याज और टमाटर मुहैया कराए। इससे महंगाई रोकने में काफी मदद मिली। एनसीसीएफ के आउटलेट्स का दायरा बढ़ाया गया है। साथ ही राज्यों के सहकारी स्टोर्स का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। राज्य सरकार के स्तर पर भी कीमतों पर निगरानी बढ़वाई गई है।

इस साल टमाटर, प्याज और दालों की महंगाई बड़ा सियासी मुद्दा बनने की आशंकाएं जताई जा रही थी। लेकिन इस मोर्चे को संभालने में सरकार काफी हद तक कामयाब रही है। इसके पीछे महंगाई से निपटने की नई रणनीति और मुश्तैदी को वजह माना जा रहा है। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय महंगाई को लेकर तेजी से कदम उठाने और सीधे खुदरा बाजार में दखल देकर स्थिति को संभालने की कोशिश में जुटा है। उपभोक्ताओं को सीधे राहत पहुंचाने की इसी रणनीति के तहत ही ‘भारत आटा’ और ‘भारत दाल’ लॉन्च की गई है।

दालों की महंगाई रोकने के सवाल पर उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि बाजार की स्थिति पर नजर रखते हुए खुदरा बाजार में तुरंत आपूर्ति बहाल करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा महंगाई का अनुमान लगाने की क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा। जिन दालों में हम आयात पर निर्भर हैं, उनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दाल निर्यातक देशों के साथ तालमेल बढ़ा रहे हैं। इस सिलसिले में ब्राजील, इथोपिया और तंजानिया आदि देशों से बातचीत चल रही है। स्टॉक लिमिट और निर्यात पाबंदियों के जरिए भी केंद्र सरकार ने महंगाई पर अंकुश लगाने का प्रयास किया है। साथ ही राज्य सरकारों और ट्रेडर्स के साथ बेहतर तालमेल बनाने का प्रयास है।

महंगाई कंट्रोल करने के लिए सरकार ने LPG की कीमतों पर एक्शन लिया। इसके तहत उसके उज्जवला योजना के लाभार्थियों को 300 रुपये और सामान्य एलपीजी ग्राहकों को 200 रुपये तक सब्सिडी देने का फैसले किया। इसका असर यह हुआ कि एलपीजी की कीमतें सितंबर से कम हो गई। अगस्त में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा दी। बासमती चावल के निर्यात पर 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू कर सरकार ने चावल की कीमतों को काबू में रखने का प्रयास किया। हालांकि, इससे किसान और ट्रेडर्स नाराज हुए। बाद में बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य घटाकर 950 डॉलर प्रति टन किया गया।

प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने पहले 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया और फिर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया। बफर के लिए सरकार ने अतिरिक्त 2 लाख टन प्याज की खरीद की भी घोषणा की है। एनसीसीएफ और नेफेड द्वारा संचालित मोबाइल वैन के माध्यम से 25 रुपये किलो प्याज और 40 रुपये किलो टमाटर की बिक्री की गई।

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