केंद्र सरकार ने खाद्य तेल के आयात पर लागू सीमा शुल्क में कटौती को एक साल के लिए बढ़ा दिया है।कटौती मार्च 2025 तक जारी रहेगी । सरकार ने इस साल जून में कच्चे पाम तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल और कच्चे सोया तेल पर आयात शुल्क मार्च 2024 तक 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था। कीमतों को नियंत्रण करने के लिए सरकार ने यह कदम उठा दिया है। भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है। यह अपनी 60 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरी करता है। भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम ऑयल खरीदता है जबकि यह अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का आयात करता है।
2025 तक कितना आयात शुल्क
एक साल तक कम आयात शुल्क की दरें बढ़ाने के बाद क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सनफ्लावर ऑयल पर आयात शुल्क 5 फीसदी पर रहेगा। रिफाइंड सोयाबीन ऑयल और रिफाइंड सनफ्लॉवर ऑयल पर 12.5 फीसदी और क्रूड पाम ऑयल पर 7.5 फीसदी आयात शुल्क लागू रहेगा। जबकि मसूर आयात शुल्क मुक्त है। बीते जून में सरकार ने 5 फीसदी तक आयात शुल्क में कटौती की थी। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार, नवंबर 2023 में खाद्य तेल का आयात 11.48 लाख टन था। वहीं गैर-खाद्य तेल का आयात 12,498 टन था। तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) के पहले महीने में वनस्पति तेलों का आयात 11.60 लाख टन हुआ। जो कि पिछले साल नवंबर के मुकाबले 25 फीसदी कम था। उस दौरान 15.45 लाख टन वनस्पति तेलों का आयात हुआ था।
सस्ते आयात से देसी पेराई मिलों को नुकसान
इस बीच एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सस्ता आयात बढ़ने का असर देसी तेल पेराई मिलों पर हुआ है, और उनका कामकाज ठप हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार देसी तिलहन किसानों की उपज मंडियों में खप नहीं रही है। इसका असल तेल मिलों के काम करने वाले लोगों के रोजगार पर पड़ा है। इस बीच शुक्रवार को सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के थोक दाम गिरावट के साथ बंद हुए। शिकॉगो एक्सचेंज में घट-बढ़ का रुख है जबकि मलेशिया एक्सचेंज में मामूली गिरावट है।