सरकार ने न्यूट्रिएंट बेस्ड फर्टिलाइजर सब्सिडी स्कीम पर अतिरिक्त 13,350.81 करोड़ रुपये खर्च करने की संसद से अनुमति मांगी है। संसद में प्रस्तुत दस्तावेज के अनुसार प्रस्ताव में 58,378.21 करोड़ रुपये का कुल नकदी व्यय शामिल है। इस अतिरिक्त व्यय में फर्टिलाइजर सब्सिडी पर 13,351 करोड़ रुपये का खर्च भी शामिल है। इसमें मुख्य रूप से सरकार द्वारा NPK बेस्ड फर्टिलाइजर पर ज्यादातर सब्सिडी दी जायेगी। फर्टिलाइजर सब्सिडी पर वैसे तो 16300 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन पहले से एडवांस दिये जाने के कारण सब्सिडी के लिए फिलहाल 13,351 करोड़ रुपये की मांग की गई है।
कितना होता है आयात
फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) के अध्यक्ष एन. सुरेश कृष्णन ने कहा कि डीएपी की वैश्विक कीमतें इस साल जुलाई में 440 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 595 डॉलर प्रति टन हो गई हैं। इसी तरह फॉस्फोरिक एसिड की कीमतें 2023 में गिरकर 970 डॉलर प्रति टन पर आई गईं और लेकिन फिर से कीमतें बढ़ने लगीं हैं, और बढ़कर 985 डॉलर प्रति टन हो गईं। अमोनिया की कीमतों ने भी इसी तरह का रुझान दिखाया है जुलाई, 2023 के 285 डॉलर से बढ़कर अक्टूबर, 2023 में यह 575 डॉलर पर पहुंच गईं।
एफएआई के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 2.85 करोड़ टन यूरिया का उत्पादन किया और 60-70 लाख टन का आयात किया। डीएपी में, घरेलू उत्पादन लगभग 40 लाख टन है जबकि आयात लगभग 60 लाख टन है।
उर्वरक मंत्री ने चेताया
इसके पहले रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि एफएआई के वार्षिक सम्मेलन में कहा था ग्लोबल सप्लायर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान वैश्विक बाजार में संकट का फायदा उठाया और फॉस्फेटिक और फॉस्फोरिक एसिड की कीमतें बढ़ा दीं। डीएपी की वैश्विक कीमतें केवल 15 दिन में 450 डॉलर से बढ़कर 590 डॉलर प्रति टन हो गई हैं। उर्वरक मंत्री ने ग्लोबल सप्लायर्स को संकट के समय कार्टेल बनाकर मुनाफाखोरी ना करने को कहा है। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत बड़ी मात्रा में यूरिया, डीएपी और अन्य उर्वरकों का आयात करता है।