प्याज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के बाद गिरते दाम से परेशान किसानों के लिए उम्मीद की खबर है। सरकार ने किसानों से अब तक खरीफ सीजन में उगाए गए 25,000 टन प्याज खरीद की है। और उसका दावा है कि वह आगे भी खरीद जारी रखेगी। जिससे कि किसानों को प्राइस कैश का नुकसान नहीं उठाना पड़े। हालांकि निर्यात पर प्रतिबंध के बाद महाराष्ट्र में प्याज उत्पादक किसानों का प्रदर्शन जारी है । उनका कहना है कि प्रतिबंध के बाद प्याज के दाम तेजी से गिरे हैं और उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहा हैं।
आगे खरीद जारी रहेगी
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि केंद्र, बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए अब तक 2023 के खरीफ सीजन में उगाए गए 25,000 टन प्याज की खरीद चुका है। उन्होंने कहा कि अब तक मंडियों से लगभग 25,000 टन खरीफ प्याज की खरीद की जा चुकी है और आगे खरीद जारी है। सिंह ने बताया कि सरकार ने पिछले साल के रबी सत्र में पांच लाख टन प्याज खरीदा था और बफर स्टॉक लक्ष्य बढ़ाए जाने के कारण दो लाख टन खरीफ सीजन की प्याज खरीद रही है। सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बफर स्टॉक लक्ष्य को बढ़ाकर सात लाख टन कर दिया है, जबकि पिछले साल का वास्तविक स्टॉक तीन लाख टन का था।
कीमतें गिरी लेकिन किसानों को नुकसान का दावा
सिंह ने बताया कि बफर स्टॉक में पड़े पांच लाख टन रबी प्याज में से, सरकार ने कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सहकारी संस्था नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से 3.04 लाख टन प्याज बाजार में उतार दिया है।उन्होंने कहा कि इस कदम के चलते प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत एक महीने पहले की तुलना में 27.58 प्रतिशत घटकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है।खुदरा कीमतों में तेज बढ़ोतरी को रोकने के लिए सरकार ने 31 मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार के कदम से प्याज की कीमतों में गिरावट आई है। लेकिन किसानों का कहना है कि प्रतिबंध लगाने से उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। एनसीपी सांसद अमोल कोल्हे कोल्हे ने कहा था प्याज उत्पादकों को इस फैसले के बाद 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।