देश की 2300 से अधिक प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को जन औषधि केंद्र खोलने की मंजूरी मिल गई है। पहले चरण में पैक्स के माध्यम से 2,000 जन औषधि केंद्र खोलने की योजना थी। इसके जरिए गांवों में सस्ते रेट पर दवाओं की उपलब्धता बढ़ाई जा सकेगी। देश में इस समय 10,500 से अधिक जन औषधि केंद्र चल रहे हैं । जो 1,965 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं और 293 सर्जिकल एवं अन्य उत्पाद बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड दवाओं की कीमत से सस्ते रेट पर मिल रहे हैं। जन औषधि केंद्रों के जरिए दवाओं की खरीद से खर्च काफी कम किया जा सकता है।
सहकारिता मंत्री ने बताया प्लान
सोमवार को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में पैक्स (पीएसीएस) विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) का दायरा जमीनी स्तर पर कृषि ऋणों से निपटने के उनके मूल कार्य से आगे बढ़ा दिया गया है। पैक्स अब जन औषधि केंद्र खोलने जैसे कई अन्य तरीकों तक पहुंचने में सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 9 वर्षों में जन औषधि केंद्रों के जरिए गरीब तबके को करीब 26,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
500 पैक्स ने शुरू किया सस्ती दवाएं बेचना
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सम्मेलन के दौरान में बताया कि पहले चरण में पैक्स के माध्यम से 2,000 जन औषधि केंद्र खोलने की योजना बनाई गई । फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने देश में जन औषधि केंद्र खोलने के लिए पैक्स के 2,300 से अधिक आवेदनों को मंजूरी दे दी है, जिनमें से 500 वर्तमान में काम भी कर रहे हैं।