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किसान संगठनों ने केंद्र से मांगा राहत पैकेज, चंडीगढ़ कूच की चेतावनी

छह राज्यों के 13 किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से बाढ़ प्रभावित किसान-मजदूरों के लिए राहत पैकेज जारी करने की मांग की

farmers unions

उत्तर भारत में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से खेती-किसानी को बहुत नुकसान पहुंचा है। इससे खरीफ की बुवाई पर तो असर पड़ा ही साथ ही बोयी हुई फसलें भी चौपट हो गईं। इस स्थिति को देखते हुए पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के 13 किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से किसान-मजदूरों के लिए राहत पैकेज जारी करने की मांग की है। ताकि किसान अपनी फसल बुवाई कर सकें।

शनिवार को चंडीगढ़ में हुई किसान संगठनों की बैठक में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों की समस्याओं और मांगों पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक की अध्यक्षता बीकेयू शहीद भगत सिंह के अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोहढी ने की। कई राज्यों में बाढ़ से लाखों एकड़ फसल बर्बाद होगी चुकी है। किसान-मजदूरों को जान-माल के अलावा मवेशियों का नुकसान भी उठाना पड़ा है। इस बीच, किसान संगठन अपने स्तर पर लोगों की मदद करने में जुटे हैं।

किसान संगठनों का कहना है कि वे हरियाणा और पंजाब सरकार की ओर से दिए गये पैकेजों से सहमत नहीं हैं। जितना नुकसान हुआ, उसी के अनुसार मुआवजा दिया जाना चाहिए। अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो किसान संगठन आगामी 22 अगस्त को चंडीगढ़ कूच करेंगे। इस मुद्दे पर किसान संगठनों की अगली बैठक 4 अगस्त को होगी।

राज्य सरकारों से किसान संगठनों ने खराब हुए ट्यूबवेल का पूरा खर्चा देने, गरीब मजदूरों के घरों की मरम्मत के लिए 5 लाख रुपये की राहत राशि जारी करने, बाढ़ से मरने वालों पशुओं के लिए एक लाख रुपये का मुआवजा देने, जिन किसानों के खेत नदियों के बहाव में बह गए हैं, उन्हें अलग से राहत पैकेज देने और जिन खेतों में मिट्टी-रेत भरे हैं वहां से बिना रोक-टोक मिट्टी उठाने की अनुमति देने की मांग की है।

किसान संगठनों ने बाढ़ प्रभावित किसानों को 50 हजार रुपये प्रति एकड मुआवजा, बाढ़ के कारण जान गंवाने वालों के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सभी किसान-मजदूरों के घरों के बिजली बिल माफ करने तथा मजदूरों के लिए मनरेगा में काम जल्द से जल्द शुरू करने की मांग की है। किसान आंदोलन के दौरान चंडीगढ में दर्ज सभी केसों को रद्द करने तथा सभी फसलों पर c2+50 फार्मूले के तहत एमएसपी देने की मांग भी दोहराई है। किसान संगठनों ने मणिपुर के हालात पर चिंता जताते हुए महिलाओं से हिंसा और बर्बरता की कड़ी निंदा की।

बैठक में बीकेयू (शहीद भगत सिंह), भारतीय किसान मजदूर यूनियन, किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब, आजाद किसान यूनियन, बीकेयू क्रांतिकारी, बीकेयू एकता आजाद, आजाद किसान कमेटी दोआबा, बीकेयू सर छोटू राम, प्रोग्रेसिव फार्मर्स फ्रंट, बीकेयू दोआबा, आईकेयू, भूमि बचाओ मुहिम उत्तराखंड और तराई किसान संगठन सहित कुल 13 किसान संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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