ओडिशा सरकार ने धान और मक्का की अवैध खरीद के आरोपों को देखते हुए कृषि कमोडिटी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म एनसीडीईएक्स ई-मार्केटिंग लिमिटेड (एनईएमएल) पर प्रतिबंध लगा दिया है। एनईएमएल पर यह आरोप है कि उसने धान और मक्के की एमएसपी से कम कीमत पर खरीद की है। और बाद में उसे ज्यादा कीमत पर बेच दिया। वहीं इस मामले परओडिशा सरकार के आरोपों का कंपनी ने खंडन किया है। उसका कहना है कि वह खरीद-फरोख्त की सुविधा देने वाला एक प्लेटफॉर्म है। वह फसलों की खरीदारी नहीं करता है। असल में 8 दिसंबर को ओडिशा के कृषि मार्केटिंग निदेशक ने जारी एक आदेश में कहा है कि राज्य की सभी विनियमित बाजार समितियां (आरएमसी) फसलों की खरीद-फरोख्त के लिए एनईएमल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करें।
क्यों दिया ये आदेश
राज्य सरकार का यह आदेश, कालाहांडी के क्षेत्रीय मार्केटिंग ऑफिसर की जांच रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें यह पाया गया है कि आरएमसी नबरंगपुर के क्षेत्र में धान और मक्का की अवैध खरीदारी की गई है। इस संबंध में 28 नवंबर को सहकारी विभाग द्वारा जारी सूचना का हवाला देते हुए एनईएमएल को किसी भी फसल की खरीद के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया।
एकतरफा फैसले का आरोप
इस प्रतिबंध पर एनईएमएल ने कहा है कि जांच में किसी भी स्तर पर उसे कथित शिकायतकर्ता से जिरह करने की अनुमति नहीं दी गई, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, और एनईएमएल के खिलाफ निर्णय उसके द्वारा प्रस्तुत वैध तथ्यों और कागजी कार्रवाई को नजरअंदाज करते हुए एकतरफा लिया गया था।
हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि एनईएमएल इस फैसले पर रोक के लिए विभाग को पत्र लिखने की प्रक्रिया में है, और कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए विस्तृत दस्तावेज और तथ्यों के आधार अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। इसके अलावा, एनईएमएल विभाग के फैसले को चुनौती देने के लिए कानूनी रास्ते के पहलुओं पर भी विचार कर रहा है।
जांच में क्या बात आई सामने
रिपोर्ट के अनुसार , एनईएमएल पर यह आरोप है कि उसने धान और मक्के की एमएसपी से कम कीमत पर खरीद की है। और बाद में उसे ज्यादा कीमत पर बेच दिया। इसके अलावा आरएमएसी के क्षेत्र में किसी तरह की फसलों की खरीद-फरोख्त के लिए लाइसेंस होना जरूरी है। लेकिन 14 अप्रैल 2018 को लाइसेंस खत्म होने के बाद भी साल 2022-23 तक खरीद-फरोख्त की, जो कि नियमों का उल्लंघन है।
इन आरोपों पर एनईएमएल के प्रवक्ता ने कहा कि धान और मक्का के ये दोनों लेनदेन स्वतंत्र निजी व्यापारियों के बीच और राज्य में आरएमसी के क्षेत्र से बाहर किए गए थे। और तीनों व्यापारी तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के थे। इसके अलावा कंपनी ने लेन-देन को लेकर पैन और जीएसटी डिटेल भी दे दिए हैं। साथ ही धान की गुणवत्ता खराब थी इसलिए एमएसपी से कम कीमत पर बेचे गए थे। जहां तक मक्के की बात है तो विक्रेता स्थानीय कारोबारी था, जबकि खरीदार कोलकाता