महाराष्ट्र में हर रोज 7 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इस बात का खुद मुख्यमंत्री शिंदे की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने राज्य विधानसभा में खुलासा किया है। सरकार के अनुसार इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच राज्य में 2,366 किसानों ने आत्महत्या की है। सबसे ज्यादा विदर्भ के अमरावती और संभाजीनगर विभाग में किसानों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामले से अब शिंदे सरकार विपक्ष के निशाने पर है। विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण राज्य में प्रतिदिन औसतन सात किसान आत्महत्या कर रहे हैं। क्योंकि मौसम की मार से परेशान किसानों को समय पर उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है, जिस कारण आत्महत्या के मामले बढ़े हैं।
कहां पर सबसे ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या
पुनर्वसन मंत्री अनिल पाटील ने शुक्रवार को विधानसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच राज्य में 2,366 किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले अमरावती विभाग से आए हैं। यहां पर 951 किसानों ने आत्महत्या की है। इसके बाद छत्रपति संभाजीनगर विभाग में 877, नागपुर विभाग में 257, नासिक विभाग में 254 और पुणे मंडल में 27 किसानों ने खुदकुशी की है। सरकार का कहना है कि वह आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को तत्काल एक लाख रुपये देती है।
45 और 52 रुपये मुआवजा पर घिरी सरकार
सरकार यह जवाब विपक्ष के करीब 30 विधायकों के द्वारा मांगी गई जानकारी के बाद आया है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि कुछ किसानों को 45 रुपये और 52 रुपये का मामूली मुआवजा दिया गया। यह किसानों के साथ मजाक है। इन्ही नीतियों की वजह से किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने दावा किया कि मौसमी की मार और राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण राज्य में प्रतिदिन औसतन सात किसान आत्महत्या कर रहे हैं। और सरकार पूरी तरह विफल रही है।
इन योजनाओं का क्या हुआ
शिंदे सरकार का दावा है कि वह किसानों के हितों के लिए कई योजनाएं चला रही है। अनिल पाटील ने लिखित जवाब में बताया कि किसान आत्महत्या नहीं करे इसलिए वसंतराव नाईक कृषि स्वावलंबन मिशन, महात्मा ज्योतिराव फुले किसान कर्ज मुक्ति योजना, एक रुपये वाली फसल बीमा योजना जैसी कई योजनाएं लागू कर सरकार मदद कर रही हैं। नमो किसान महा सम्मान योजना के तहत राज्य सरकार हर साल किसानों को 6,000 रुपये की मदद देती है। राज्य की इन योजनाओं के अलावा केंद्र सरकार की पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को सालाना 6000 रुपये मिलते हैं।