उत्तर भारत के चाय बागानों की कमाई घट गई है। इस साल उत्पादन लागत बढ़ने से और वेतन बढ़ोतरी का असर बागानों के मार्जिन पर हुआ है। इसके अलावा कम निर्यात मांग और ग्रामीण बाजार से मांग में आई कमी का असर उनके कारोबार पर हुआ है। केन्या से चाय की अधिक आपूर्ति होने के कारण निर्यात बाजारों में प्रतिकूल असर पड़ा है। और ईरान से मांग कम होने होने की वजह से चाय की मांग कम हुआ है।
उत्पादन घटने की आशंका
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2023 के पहले 10 महीनों में पारंपरिक किस्म की अखिल भारतीय नीलामी कीमतों में सालाना आधार पर लगभग 51 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट देखी गई। इसी अवधि में दक्षिण भारत में चाय कीमतों में गिरावट सात रुपये प्रति किलोग्राम से कम हुई।इक्रा ने कहा कि पारंपरिक चाय की बिक्री में गिरावट मुख्य रूप से ईरान से कम निर्यात मांग के कारण थी। इक्रा के अनुसार, वर्ष 2023 के पहले 10 महीनों में थोक चाय के अखिल भारतीय उत्पादन में सालाना आधार पर 2.2 करोड़ किलोग्राम की कमी आई है और पिछले साल की तुलना में इस बार सालाना उत्पादन एक प्रतिशत कम रह सकता है।
ईरान-रूस-यूएई से मांग घटी
इक्रा के उपाध्यक्ष और चाय क्षेत्र प्रमुख सुजॉय साहा ने बताया कि ईरान, रूस और यूएई को निर्यात में भारी गिरावट ने भारत में नीलामी केंद्रों पर चाय की कीमतों पर असर डाला है।इसी तरह, सीटीसी चाय की अखिल भारतीय नीलामी औसत में भी पहले 10 महीनों के दौरान छह रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट देखी गई।इक्रा के मुताबिक, केन्या से चाय की अधिक आपूर्ति होने के कारण निर्यात बाजारों में प्रतिकूल परिस्थितियों के साथ सुस्त ग्रामीण मांग ने भी इस गिरावट में योगदान दिया है।