Connect with us

Hi, what are you looking for?

English

News

प्याज का मुद्दा सुलझाने में जुटी सरकार, कृषि मंत्री ने ली उच्चस्तरीय बैठक

केंद्र सरकार प्याज निर्यात पर रोक के फैसले से नाराज किसानों की दिक्कतें सुलझाने का प्रयास कर रही है। सरकार ने जहां पहली बार बफर स्टॉफ के लिए खरीफ सीजन की दो लाख टन अतिरिक्त प्याज खरीदने का फैसला किया है। वहीं, मंगलवार को कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा भी सक्रिय दिखे। उन्होंने आला अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर प्याज की स्थिति की समीक्षा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का बचाव किया है।

किसान सड़क पर उतरे

गत 8 दिसंबर को केंद्र सरकार ने मार्च 2024 तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके बाद महाराष्ट्र के नासिक में किसान सड़क पर उतर आए। उन्होंने मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग को कई जगहों पर जाम कर दिया था। मामले ने महाराष्ट्र विधानसभा तक तूल पकड़ लिया।

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार 11 दिसंबर को महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उन्होंने प्याज निर्यात पर रोक के फैसले को किसान विरोधी करार देते हुए निर्यात पर प्रतिबंध तुरंत हटाने की मांग की। प्याज उत्पादकों का कहना है कि एक तरफ फसल खराब हुई है, दूसरे तरफ सरकार प्रतिबंध लगाकर उन्हें नुकसान पहुंचा रही है। यही नहीं नासिक के किसानों ने कई मंडियों में प्याज की खरीद भी रोक दी थी और चेतावनी दी कि अगर सरकार ठोस कदम नहीं उठाएगी तो वह दिल्ली कूच करेंगे।

कृषि मंत्री एक्शन में

एक ओर जहां सरकार ने बफर स्टॉक के लिए प्याज की अतिरिक्त खरीद का ऐलान किया, वहीं कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने नेफेड और मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरी स्थिति की समीक्षा की। कृषि मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि सरकार पूरे मामले पर नजर रखी हुई है और किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। केंद्र सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

वित्त निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा है कि वह इस संबंध में चिंताओं को समझती हैं, लेकिन यदि फसल की कमी है और प्याज जैसी आवश्यक वस्तु को बाजार में पहुंचाने में कठिनाई हो रही है तो हमें सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय उपभोक्ताओं को प्राथमिकता मिले और इसलिए कई बार इस तरह के उपाय करने होते हैं।

क्यों बिगड़े हालात?

रबी की अच्छी फसल के कारण इस साल जून तक प्याज की कीमतें नियंत्रण में थीं। लेकिन जुलाई के बाद खरीफ की फसल में देरी, मौसम की गड़बड़ी के कारण खरीफ उत्पादन प्रभावित हुआ। तुर्की और मिस्र द्वारा लगाए गए निर्यात प्रतिबंध के कारण वैश्विक आपूर्ति में बाधा आई। जिससे कीमतें 70-80 रुपये तक पहुंच गई थी। हालांकि, अब प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमतें आठ दिसंबर को घटकर 56 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई हैं, जो आठ नवंबर को 59.5 रुपये प्रति किलोग्राम थी।

संबंधित पोस्ट

News

मंगलवार को किसानों पर आंसू गैस छोड़ने और उनकी मांगों को पूरा नहीं करने पर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस, समाजवादी...

समाचार

पीएम किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों के लिए अच्छी खबर है। सरकार अब ई-केवाईसी के लिए देश के कई गांवों में कैम्प लगाने जा...

News

सोमवार को किसान और केंद्रीय मंत्रियों के बीच हुई वार्ता फेल होने के बाद, मंगलवार को पंजाब से दिल्ली की ओर कूच कर रहे...

News

हरियाणा में रबी सीजन के दौरान राज्य सरकार किसानों से सरसों, चना, सूरजमुखी, समर मूंग की खरीद एमएसपी पर करेगी। इसके अलावा सरकार मार्च...