एक दिन पहले ही भाकियू के नेता राकेश टिकैत ने किसानों को एक फसल की कुर्बानी के लिए तैयार रहने को कहा
ऐसे शांतिपूर्ण आंदोलन असफल करार दिये जाते हैं। फिर सफल आंदोलन कैसा होता है?
खेती-किसानी से जुड़े मसलों को राष्ट्रीय बहस के केंद्र में लाना इस किसान आंदोलन की बड़ी कामयाबी है
चौधरी साहब ने हमेशा धारा के खिलाफ एक अनूठी और जनहितैषी राजनीति की।
जो महिलाएं बुआई से लेकर फसल कटाई तक सभी कामों में बराबर हाथ बंटाती हैं, उनका ना कहीं प्रतिनिधित्व है ना ही
किसान सोचे बैठा है कि उसकी फसल का बीमा हो चुका है, लेकिन बैंक ने बीमा पोर्टल पर ब्यौरा ही अपलोड नहीं
किसानों को ट्रैक्टर मार्च का आइडिया कुछ दिनों पहले नीदरलैंड्स में हुए इसी तरह के विरोध-प्रदर्शन से आया था।
जमीन से कब्जा हटाने के दौरान पुलिस ने किसान को बुरी तरह पीटा, सरकार पर उठे रहे सवाल
मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी कई जगहों से यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी की खबरें आ रही
किसान कर्जमुक्ति की मांग के साथ ही कॉरपोरेट की कर्जमाफी या एनपीए का मुद्दा भी उठ रहा
हमें हर बिरादरी के किसानों को उजड़ने से बचाना है। इसमें सिख या गैर-सिख का फर्क नहीं होना चाहिए
एनसीआर तक टिड्डियों की दस्तक से चेतावनी प्रणाली और सरकारी तंत्र पर उठने लगे सवाल
हरियाणा में धान की खेती पर आंशिक पाबंदियों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसान, विरोध-प्रदर्शन
सरकार के पास आवारा पशुओं से खेती को नुकसान का आंकड़ा ही नहीं
बैल मूक पशु है, लेकिन जैसी उपमा उसे (मूर्ख ) दी जाती है....वैसा वह है नहीं...मनुष्य सपना देख सकता है बैल नहीं...उसके वारिस मानव जात में कहीं ज्यादा मिल जायेंगे
ऑक्सफैम की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि कार्यबल में हिस्सेदारी के मामले में भारत दुनिया में सबसे पीछे
स्थानीय किसानों और महिलाओं ने तीन साल के अंदर ही बदल दी गांव की खेती की
इंटरनैशनल फूड पाॅलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट बता रही है कि गांवों के कृषि संकट से खाद्य सुरक्षा खतरे में आ सकता
शहर की जिंदगी धीरे-धीरे ये सिखाती है कि किसी के भरोसे नहीं रहना है, जो भी करना है अपने बूते पर करना है। ये मूल्य गांव की जिंदगी के खिलाफ है। वहां एक प्रकार कार ‘बाध्यकारी-सहकार’ होता है क्योंकि
घराट सिर्फ आटा पीसने या धान कूटने का यंंत्र नहीं है बल्कि आदिवासी/पर्वतीय क्षेत्र की संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों के बीच सामंजस्य का एक अनूठा नमूना
देश में कर्ज के बोझ तले किसानों की खुदकुशी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब मध्य के इंदौर जिले में कथित तौर पर कर्ज के बोझ से परेशान 41 वर्षीय किसान ने एसिड पी
महाराष्ट्र में आंदोलनों और विरोध-प्रदर्शनों में शामिल किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामले वापस लिए