आर्गेनिक (जैविक) और ग्राीन (हरित) प्रोडक्ट बताकर लोगों को धोखा देने वालों की अब खैर नहीं है। सरकार इसके लिए नई गाइडलाइन लाने जा रही है। और इस दिशा में पहली कार्यवाही भी हो हई है। विज्ञापन के लिए मानक तैयार करने वाली परिषद ‘द एडवर्टाइजिंग स्टैणर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया’ (ASCI) ने दिशानिर्देशों का मसौदा जारी कर दिया है। उस मसौदे के अनुसार, अब आर्गेनिक या ग्रीन प्रोडक्ट बेचने के पहले कंपनियों को सख्त मानकों से गुजरना होगा। और ऐसा नहीं करने पर उन्हें सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा।
मसौदे में क्या है
ASCI ने अपने मसौदे में कहा कि इस पहल का मकसद विज्ञापन में पारदर्शिता लाना और जवाबदेही बढ़ाना है। अगर कंपनियां किसी प्रोडक्ट को पर्यावरण के अनुकूल बता रही हैं, तो उन्हें अपने दावे को साबित करना पड़ेगा। वह जो दावा कर रही हैं उसका आधार क्या है, उन्हें इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही इसके लिए उन्हें सबूत भी दिखाने होंगे।
होंगे ये बदलाव
इसके अलावा सर्टिफिकेशन और अप्रूवल से पहले स्पष्ट होना चाहिए कि प्रोडक्ट में कौन सी विशेषताएं हैं। उत्पाद या सेवा को सर्टिफिकेट कहां से मिला है, इस बात की जानकारी देनी होगी। विज्ञापन में सर्टिफिकेट और मुहर किस नेशनल और इंटरनेशल लेवल संस्था के द्वारा दी गई है, इसकी भी जानकारी देनी होगी। साथ ही इस बात के सबूत देने होंगे कि प्रोडक्ट ऐसे तत्वों से मुक्त हैं जो पर्यावरणीय खतरे पैदा कर सकते हैं। मसौदे पर 31 दिसंबर तक लोगों से सुझाव मांगे गए हैं। इसके बाद फाइनल दिशानिर्देश जारी हो सकते हैं।
सरकार ने दिए सख्ती के संकेत
इसके पहले उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए) के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ग्रीन वांशिग से सचेत रहने की बात कही थी। उन्होंने स्टोरीबोर्ड18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को ग्रीन बता रही है, तो ग्राहक को इसपर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए। DoCA पहले से ही ‘ग्रीनवॉशिंग’ को लेकर दिशानिर्देशों पर काम कर रहा है। लोग ग्रीन और टिकाऊ प्रोडक्ट्स के लिए दो से तीन गुना अधिक कीमत देने को तैयार हैं। इसलिए बेईमान लोगों को इस बात का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ग्रीनवॉशिंग से बचने के लिए उपभोक्ताओं को जागरूक होना होगा।
